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रायपुर के बाद हमर लैब का विस्तार 27 जिले और 41 ब्लाक स्तर पर किए जाने का विचार किया गया था। चार साल का लंबा समय बीतने के बाद संख्या 13 जिले और सात ब्लाक से आगे नहीं बढ़ पाया। 

रायपुर। निजी लैब में पैथालॉजी जांच के लिए पैसे खर्च करने से बचाने के लिए जिला अस्पतालों में शुरू की गई हमर लैब की योजना अब उपेक्षा की शिकार होने लगी है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा करीब चार साल पहले इस योजना को प्रारंभ किया था मगर 14 जिलों में अब तक इसी शुरुआत नहीं हो पाई है। जिन जिला अस्पतालों में यहां संचालित हो रहा है वहां की व्यवस्था भी लचर हो रही है। रायपुर में थायराइड, लीवर, हार्मोन्स से संबंधित कई जांच बंद है तो राजनांदगांव में टेस्ट के लिए सैंपल देने लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। खून सहित पैथालॉजी से संबंधित जांचों के लिए निजी लैब में मरीजों को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए चार साल पहले रायपुर जिला अस्पताल और पाटन ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इसकी शुरुआत की गई थी।

 प्रारंभिक दौर में इसे मिले रिस्पांस के आधार पर अन्य जिलों के साथ देशभर में हमर लैब की योजना को अपनाने की बात सामने आई थी। रायपुर के बाद हमर लैब का विस्तार 27 जिले और 41 ब्लाक स्तर पर किए जाने का विचार किया गया था। चार साल का लंबा समय बीतने के बाद संख्या 13 जिले और सात ब्लाक से आगे नहीं बढ़ पाया। नतीजा यह हुआ कि 14 जिले और 34 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों को अभी भी अपनी जांच के लिए निजी लैब में जाकर राशि खर्च करनी पड़ती है। यहीं नहीं जिन जिलों में इसे प्रारंभ किया गया वहां भी स्थिति ठीक- ठाक नहीं है। ज्यादातर स्थानों रीएजेंट, स्टाफ अथवा अन्य कारणों से पूरी 120 जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

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राजनांदगांव में रूखा व्यवहार और लंबा इंतजार

बसंतपुर स्थित जिला अस्पताल में वर्ष 2021 में स्थापित हमर लैब की स्थापना की गई। में 140 तरह की जांच की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। यहां ब्लड और यूरीन सैंपल जांच के लिए आधुनिक मशीन तो लगी है लेकिन टेक्निशियन की कमी है।

इन जिलों में चल रहे हमर लैब 

वर्तमान में रायपुर के अलावा, बस्तर, बीजापुर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, नारायणपुर बालोद, बलौदाबाजार, दुर्ग, राजनांदगांव, जीपीएम, कबीरधाम तथा बलरामपुर जिला अस्पताल में हमर लैब का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा पाटन, धमधा, पलारी, कसडोल, मैनपुर, भानुप्रतापपुर, धरमजयगढ़ तथा पुसौर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में यह काम कर रहा है। 11 जिले और 31 सीएचएसी में इसका निर्माण जारी होने के दावे किए जा रहे हैं।

शुरू होने से पहले बंद हो गई हमर लैब योजना 

बिलासपुर। हमर लैब के नाम से सरकारी पैथालॉजी लैब योजना शुरू होने से पहले ही बंद हो गई। बिलासपुर में इसके लिए तीन स्थानों पर जगह का चयन भी कर लिया गया था लेकिन बाद में शासन से कोई फंड नहीं आने के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

रायपुर में कई जरूरी जांच बंद

रायपुर के पंडरी जिला अस्पताल में हमर लैब का संचालन शुरुआत से की जा रही है। यहां 120 के बजाय 144 तरह की जांच की सुविधा दी जा रही थी। पिछले कुछ समय से रीएजेंट की टोटा होने और लोकल पर्चेस से काम नहीं चलने की वजह लीवर, थायरायड, हार्मोन्स, किडनी फंक्शन, एचबी इलेक्ट्रोफॉरेसिस के साथ हेपेटाइटिस ए, बी के साथ डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट नहीं हो पा रहा है। इसका सीधा असर रायपुर जिले के विभिन्न हेल्थ सेंटरों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की जांच पर हो रहा है। हालांकि जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एसके भंडारी के मुताबिक यहां पिछले तीन माह में डेढ़ लाख से अधिक मरीजों की जांच की गई है।

जगदलपुर में 1145 तरह की जांच

जगदलपुर के महारानी जिला अस्पताल में संचालित हमर लैब में 1145 तरह के बीमारियों की जांच की सुविधा मरीजों को मिल रही है। साढ़े तीन साल से संचालित लैब में ब्लड ग्रुप, डायबिटीज, लीवर, किडनी, यूरीन के अलावा जापानी इंसेफेलाइटिस, हेपेटाइटिस ए, बी एवं सी समेत अन्य जांच हो रही है। यहां आने वाले मरीजों को निशुल्क जांच की सुविधा मिलने की वजह से इसके लिए अब निजी अस्पतालों में जाकर पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है।
 

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