नॉर्मलाइज, मिस कॉन्सेप्शन , अथॉरिटी , हॉस्टल
रायपुर। किर्गिस्तान में स्थानीय और विदेशी छात्रों के बीच झड़प के बाद भारत में पालक चिंतित हैं। देश-दुनिया की मीडिया में अलग-अलग तरह की खबरें प्रचारित और प्रसारित हो रही हैं। 13 मई को शुरू हुए विवाद ने 17 मई को विवाद का रूप लिया था और स्थानीय लोगों की विदेशी, खासतौर पर पाकिस्तानी छात्रों के साथ झड़पें हुई थीं। तब से चर्चाएं फैल रही थीं। इनकी हकीकत जानने के लिए हरिभूमि और आईएनएच मीडिया समूह के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी किर्गिस्तान पहुंचे। वहां अध्ययरत छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश सहित देशभर के छात्र-छात्राओं से चर्चा की। सबने कहा, अब वहां कोई तनाव नहीं है ऑल इस वेल। सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो गया है। पढ़ाई शुरू हो गई है।
भारतीय छात्रों ने बताया है कि, अब उनके साथ कोई तनाव और विवाद की स्थिति नहीं है, वे तनाव मुक्त होकर अपनी पढ़ाई में लगे हैं। डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किर्गिस्तान से अपनी रिपोर्ट में बताया कि है कि हम लोग जैसा भारत में रहते हुए समझ रहे थे, वैसा माहौल अब वहां नहीं है। वहां की दिनचर्या देखने के बाद उन्होंने कहा कि किसी भी तनावपूर्ण जगह की ऐसी दिनचर्या नहीं हो सकती है। वहां कुछ समय पहले तनाव हुआ होगा, लेकिन अब हिंदुस्तान में बैठे छात्रों के माता-पिता ऐसी चिंता न करें कि उनके बच्चे यहां कठिनाई में हैं। सड़कों पर चहल पहल है किर्गिस्तान की राजधानी बिकेक में।
शॉपिंग कर लौटे बच्चों ने क्या कहा
इसी दौरान कई बच्चे शॉपिंग कर लौटते नजर आए। उनसे पूछा गया कि क्या बात है, भर, भर कर सामान ले आए? कैसे हैं हालात, लोग तो कह रहे थे, सड़क पर भी नहीं निकल सकते, आप तो झोला भर-भर कर सामान ला रहे हो? छात्रा ने जवाब दिया, पहले तो थोड़ी तकलीफ हुई पर अब तो अच्छा है। पहले क्या हुआ था? लोकल लोगों का दूसरे विदेशी बच्चों से झगड़ा हुआ था। एक सप्ताह तक थोड़ी मुश्किल हुई थी।
आईएसएम कॉलेज का हाल
पटना बिहार निवासी तान्या ने बताया कि वह यहां एमबीबीएस पांचवे वर्ष में हूं। यहां अब सब कुछ नॉर्मलाइज हो चुका है, जब ये हुआ था, हम लोग थोड़ा डरे थे, क्योंकि ये पहली बार हुआ है पांच साल में। हमारे मैनेजमेंट ने बहुत सारी सिक्युरिटी प्रोवाइड की है। यहां के नार्मल लोग भी बहुत सपोर्ट कर रहे हैं। अब सब कुछ नार्मल है, बहुत सारे बच्चे बाहर भी ज सकते हैं। अब ऐसी कोई सिचुएशन नहीं है कि हम खौफ में रहें। 13 मई को शुरु हुआ था। विवाद बढ़ता गया और स्थानीय बाहरी होता चला गया। लेकिन हमारा हॉस्टल तो सेफ था। आईएसएम मैनेजमेंट तो इसमें सच में अच्छा है कि उन्होंने पूरी सिक्योरिटी प्रोवाइड की।
मप्र की छात्रा ने कहा, बचाने की अपील नहीं
मध्यप्रदेश के भी कुछ बच्चे यहां है, उनके पैरेट्स वहां के मुख्यमंत्री मोहन यादव से आग्रह कर रहे थे, कि उनके बच्चों को बचाओ? यहां मप्र की रहने वाली एक छात्रा से पूछा गया कि क्या वे मप्र के मुख्यमंत्री से ऐसी अपील करेंगी कि उन्हें बचाएं। छात्रा ने कहा नहीं, मैं ऐसी कोई अपील नहीं करूंगी। क्योंकि सब कुछ सेफ है। कुछ बच्चे जूनियर हैं जो इसी साल आए हैं, वे डरे थे। उन्होंने देखा नहीं यहां के लोगों को यहां के कल्चर को। मैं यहां पांच साल से हूं। मुझे लग रहा है सब कुछ सेफ है। हम लोग आराम से बाहर जा रहे हैं। आप लोग कह रहे हैं सुरक्षा दी जा रही है? सब ठीक है तो सुरक्षा क्यों? एक छात्रा ने बताया कि हम लोग कल ही बाहर से होकर आए हैं। हमें लगता है कि अब हमारे लिए और ज्यादा सिंपैथी आ गई है। आप लोगों की पढ़ाई इससे कितनी प्रभावित हुई? एक छात्र ने बताया कि हमने प्रैक्टिकल एग्जाम दिए हैं। एग्जाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। कोई प्रॉब्लम नहीं आया न ही पढ़ाई टली है। देश-प्रदेश वालों से क्या कहना चाहेंगे? छात्रा ने कहा यहां सब कुछ सेफ है। फिक्र की जरुरत नहीं। बच्चे यहां आ सकते हैं पढ़ने के लिए। कोई दिक्कत की बात बात नहीं। जो पैरेंट्स घबराएं है उन्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है।
भारत के मुकाबले सस्ती है मेडिकल एजुकेशन
यहां भारत से मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे यहां मेडिकल की पढ़ाई करने आते हैं। हिंदुस्तान के मुकाबले यहां मेडिकल की पढ़ाई सस्ती पड़ती है। अगर भारत में किसी प्राईवेट मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई की फीस 25-30 लाख है तो यहां यह फीस 5-7 लाख रुपए सालाना होती है। यहां आने वाले बच्चे को लेकर 13 मई के बाद ये खबर आनी शुरु हुई कि जिन बच्चों को उनके मां-बाप ने भविष्य संवारने के लिए भेजा था, उनका वर्तमान खतरे में पड़ा गया। वर्तमान इसलिए खतरे में पड़ गया कि एक खबर यहां से आई कि यहां के स्थानीय वाशिंदों के साथ विदेशी मूल के छात्रों के साथ टकराव हो गया। हम वहां पहुंचे और बच्चों से बातचीत की, असलियत पता का, कि आखिर वहां क्या माहौल है। हमने लोकल अथॉरिटी से भी बात की, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी दो दिन पहले बयान जारी कर कहा था कि हालात यहां बिल्कुल सामान्य हैं। हम एस. जयशंकर के दावे के साथ ही खड़े हैं कि यहां हालात बिल्कुल सामान्य हैं।
उदयपुर की छात्रा ने कहा-ऑल इस वेल
उदयपुर, राजस्थान की एक छात्रा सुधांशी आचार्य ने कहा वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हूं। अभी माहौल सब ठीक हो चुका है। हमें सब ठीक लग रहा है, जो लड़ाई थी वह लोकल और इजीप्शन के बीच हुई थी। वह अब खत्म हो गई है। लोकल्स ने भी सॉरी बोल दिया है। अब यहां डर की कोई बात नहीं है। लोग बोल रहे हैं कि हमला तो हुआ नहीं था, आप लोगों ने माहौल बना दिया? पाकिस्तानी हॉस्टल में हुआ था, तो हमें लगा कि अगला हमला हमारे ऊपर न हो जाए इसलिए डरे हुए थे।
झारखंड की छात्रा ने कहा, तनाव था, लेकिन अब खतरा नहीं
वहीं मौजूद झारखंड़ की छात्रा ने कहा कि पहले थोड़ा तनाव था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है, हम लोग सारी जगह जा रहे हैं, सारी चीजे नार्मल है। इंडियन पर कोई अटैक नहीं हुआ था। वो पाकिस्तानी के साथ मिस कंसेप्शन था। यहां कोई किसी ने नहीं डर रहा है। हमें भी लोकल्स से प्यार है, उन्हें भी हमसे प्यार हैं। इस घटना के बाद लोकल्स ने भी सॉरी बोला था। यहां के लोग अच्छे हैं मिस कंसेप्शन की वजह से ऐसा हुआ था। एक छात्रा से पूछा गया कि आप लोग यहां क्यों आए हो घूमने के लिए या पढ़ने के लिए? एक छात्रा ने जवाब दिया पढ़ने के लिए। जब माहौल इतना तनावपूर्ण बताया जा रहा है तो हॉस्टल के अंदर रहना चाहिए? छात्रा ने कहा कि अब सब नॉर्मल हो चुका है, काफी दिन हो गई इन बातों को हुए, अब सब नार्मल है।
अफवाहें बहुत फैलाई गई
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के छात्र भी वहां बड़ी संख्या में हैं। उन्होंने कहा कि इंडियन सेफ थे। हम लोगों को प्रोटोकॉल मिला था कि हम हॉस्टल में ही रहें। ताकि वो लोग मिस कॉन्सेप्शन में न आएं। जब आप पढ़ने को आएं हैं तो इस बात को लेकर क्यों परेशान रहते हो कि हमें घूमने को नहीं मिल रहा है? सड़क पर क्यों दिखाई दे रहें हैं। छात्रा ने कहा- हर कंट्री में कुछ ऐसे लोग होते हैं कि छोटी सी चीज को बड़ा कर देते हैं, ऐसा यहां भी हुआ। अफवाहें बहुत फैलाई गई। पहले भी कुछ घटनाएं होती रही हैं लेकिन इस बार ज्यादा लाइमलाइट में आ गई। चिंता की कोई बात नहीं है।