रायपुर। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए 1235 चिकित्सा विशेषज्ञों की भर्ती की योजना अभी कार्यरूप में सामने नहीं आ पाई है। राज्य में चिकित्सा विशेषज्ञों के 1734 पद स्वीकृत हैं, मगर काम करने वालों की संख्या 499 है। इसकी वजह से कई अस्पतालों से मरीजों को रेफर करने की घटनाएं हो रही हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश के तमाम मेडिकल कालेज सहित जिला अस्पतालों में चिकित्सा विशेषज्ञों की तैनाती की जानी है, ताकि वहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर करने की स्थिति ना हो और मरीजों को अपने गृहग्राम के समीप ही उपचार की बेहतर सुविधा मिल सके।
राज्य में उपचार व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बजट के दौरान मैनपॉवर की कमी को दूर करने की घोषणा की गई थी, जिसमें 1235 चिकित्सा विशेषज्ञों की भर्ती की जानी थी। बजट को चार माह से अधिक का वक्त बीत चुका है, मगर इसमें अब तक किसी तरह काम नहीं हो पाया है। अभी ग्रामीण के साथ शहरी इलाकों में सर्जन, महिला एवं प्रसूति रोग, शिशु रोग सहित अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों की भारी कमी है। इसके दांतों की बीमारी की समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों को दंत रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति भी की जानी है। दंत रोग चिकित्सकों के सरकारी सिस्टम में अभाव की वजह से निजी अस्पतालों में मरीजों को महंगी फीस देकर इलाज कराना मजबूरी है।
आरक्षण के पेंच में भर्ती परीक्षा
सरकारी अस्पतालों में तृतीय और चतुर्थ कर्मचारियों की भी भारी कमी है। इनकी भर्ती व्यापमं द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से की जानी है। सूत्रों का कहना है कि इसमें आरक्षण का पेंच फंसा हुआ है। राज्य में 20 हजार 809 पद की तुलना में 13 हजार 433 कर्मचारी कार्यरत हैं और 7376 पद पर भर्ती का इंतजार है।
जिला अस्पताल में नियुक्ति की मांग
पीजी की पढ़ाई करने वाले डाक्टरों द्वारा अनुबंध सेवा के दौरान जिला अस्पताल अथवा मेडिकल कालेज में ड्यूटी लगाने की मांग काफी समय से पहले की जा रही है। उनका तर्क है कि स्वास्थ्य केंद्रों में सर्दी- खांसी, बुखार का इलाज चिकित्सा अधिकारी द्वारा किया जा सकता है। अस्पतालों में आने वाले मरीजों को चिकित्सा विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, इसलिए उनकी तैनाती स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं की जाए।