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सड़कों पर मवेशी नहीं हटने और हादसों में कई मवेशियों की मौत को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया। कोर्ट ने सीएस को 4 सप्ताह में जांच कर इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

बिलासपुर। सड़कों पर मवेशी नहीं हटने और हादसों में कई मवेशियों की मौत को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने सीएस को 4 सप्ताह में जांच कर इसके लिए कौन जिम्मेदार है ये बताने कहा है। याचिकाकर्ता के वकील ने मवेशियों की मौत के आंकड़े भी कोर्ट में प्रस्तुत किए हैं। इसमें बताया गया कि जनवरी से अब तक 73 हादसे हुए हैं, इसमें 55 की मौत हो गई। इसके साथ ही प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर 52 ऐसे स्थान हैं, जहां पर मवेशियों के कारण सबसे ज्यादा हादसे होते हैं।

रायपुर-बिलासपुर मार्ग सबसे ज्यादा खतरनाक है। प्रदेशभर के सड़कों में आवारा कुत्तों और मवेशियों को लेकर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने प्रदेश के नगर पालिका, निगम आयुक्तों और ग्राम पंचायतों को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि सड़कों और राजमार्गों में आने वाले पशुओं को रोकें और संभावित दुर्घटना रोकने सख्त कदम उठाया जाए। याचिका में कहा गया है कि आवारा मवेशियों के कारण आए दिन हो रही दुर्घटनाओं से बड़ी संख्या में मौतें भी हो रही हैं।

अब यह समस्या गंभीर हो चुकी है

ध्यान रहे कि प्रदेश की सड़कों पर मवेशियों के जमघट से होने वाली होने वाली परेशानियों को लेकर वर्ष 2019 में जनहित याचिकाएं लगाई गई थी। तब से लेकर अब तक हाईकोर्ट ने कई बार दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने मार्च 2024 में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एनएचएआई से जवाब मांगा था। अभी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बरसात शुरू होते ही सड़कों पर मवेशी नजर आने लगे हैं। यह शहर ही नहीं, पूरे प्रदेश की समस्या है। अब यह गंभीर हो चुकी है। इसे संयुक्त प्रयास से ही समाधान किया जा सकता है।

मवेशियों की वजह से कई हादसे

सुनवाई के दौरान बताया गया कि हाल ही में 7 जुलाई, 2024 को तिल्दा ब्लॉक के किरना क्षेत्र में अज्ञात वाहन की चपेट में आने से 15 गायों की मौत हो गई और 3 घायल हो गईं, साथ ही ग्रामीण घायल हो गए थे। मामले में याचिकाकर्ता के एक वकील ने प्रकाशित समाचार क्लीपिंग को छत्तीसगढ़ उच्च व्यायालय में पेश किया था। यह भी कहा गया कि सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों के साथ-साथमनुष्यों की मृत्यु को रोकने के लिए हितधारकों द्वारा जो कदम उठाए गए हैं, उन्हें अधिक प्रभावी नहीं पाया गया। उसी के मद्देनजर हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को पूरे राज्य के जिलों में सभी हितधारकों को आवश्यक और प्रभावी आदेश जारी करने का निर्देश दिए हैं।  

 

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