बिलासपुर। रायपुर में नहर की जमीन पर कॉलोनाइजर्स के कब्जा करने के मामले में हाईकोर्ट ने शासन और नगर निगम के रुख पर नाराजगी जताई है। डिवीजन बेंच ने निगम के वकील से पूछा है कि कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद भी नहर से कब्जा क्यों नहीं हटाया गया। कोर्ट ने मुख्य सचिव और निगम को शपथपत्र के साथ यह बताने कहा है कि ठेकेदार पर क्या कार्रवाई करेंगे और जो नुकसान उसने किया है, उसकी भरपाई कैसे करेंगे।
प्रकरण के अनुसार, अमलीडीह में नहर की जमीन 2006 में रायपुर नगर निगम को सौंप दी गई थी। तब इस नहर की चौड़ाई 40 फीट थी। नहर के करीब 35 फीट पर कुछ बिल्डरों ने कब्जा कर दीवार बना ली। इससे नहर में पानी निकासी के लिए केवल 5 फीट जगह बच गई। इसके साथ ही अमलीडीह में एक नाले के करीब 17 हजार वर्ग फीट हिस्से को पाटकर बिल्डरों ने निर्माण कर लिया। वहीं, नहर की ही जमीन पर निजी लोगों ने भी मकान बना लिया है।
सिर्फ नोटिस से क्या होगा कार्रवाई बताइए
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने के खिलाफ छत्तीसगढ़ अधिकार आंदोलन समिति ने कलेक्टर और नगर निगम से शिकायत की, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य शासन सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शासन की ओर से बताया गया कि कलेक्टर ने स्वयं इस बारे में रिपोर्ट दी थी कि अवैधानिक अतिक्रमण हुआ है इसे हटाया जाए। इस पर कोर्ट ने नगर निगम के वकील से पूछा कि कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद भी बेजा कब्जा क्यों नहीं हटाया गया।