बिलासपुर। हाईकोर्ट ने पत्नी के मानसिक विकार से ग्रस्त होने पर तलाक को उचित ठहराया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि विवाह के बाद पत्नी 4 दिन ही पति के साथ रही। उसकी मानसिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपने वैवाहिक दायित्वों के निर्वहन में असमर्थ थी। विवाह को ट्रायल कोर्ट ने शून्य घोषित करने का आदेश दिया था। इस पर पत्नी की ओर से हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की गई। डिवीजन बेंच ने भी अपील खारिज करते हुए कहा है कि, इस तरह की अवस्था में महिला विवाह के लिए अयोग्य है।
कोटा रायपुर निवासी का विवाह जामुल भिलाई निवासी युवती से हुआ था। शादी के बाद से ही इसकी पत्नी का व्यवहार असामान्य था। वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थी। बाद में पति को यह जानकारी हुई कि मनोरोग चिकित्सक के यहां उसका पहले से इलाज चलता रहा है। शादी के समय लड़की पक्ष द्वारा यह तथ्य छिपाया गया।
ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के अवलोकन से पता चलता है कि 29 मई 2019 को विवाह संपन्न होने के बाद पति-पत्नी 4 दिन ही साथ रहे हैं। साक्ष्यों के अनुसार डॉ. प्रमोद गुप्ता ने पत्नी का इलाज किया था, जो एक मनोचिकित्सक हैं। शादी से पहले भी महिला की मानसिक बीमारी के लिए डॉक्टर ने अलग-अलग तारीखों पर दवाएं लिखी थीं। यह स्पष्ट है कि अनावेदक पत्नी मानसिक विकार से पीड़ित है और विवाह के लिए अयोग्य है डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इसलिए, ट्रायल कोर्ट ने पक्षों के नेतृत्व में दिए गाए सबूतों पर उचित विचार करने के बाद सही फैसला दिया है। इसके साथ ही डीबी ने महिला की अपील खारिज कर विवाह को अमान्य घोषित करने का आदेश दिया।