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बलरामपुर में स्वास्थ्य सेवा की बदहाल स्थिति के कारण लोग झाड़फूंक के सहारे इलाज करवा रहे हैं। कर्मचारियों की कमी की वजह से अस्पताल सप्ताह में एक-दो दिन ही खुल पाता है।

घनश्याम सोनी- बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में स्वास्थ्य सेवा का हाल बेहाल है। स्टाफ की कमी की वजह से स्वास्थ्य केंद्र सप्ताह में एक-दो दिन ही सिर्फ खुला पाता है। ऐसे में ग्रामीणों का स्वास्थ्य विभाग से भरोसा उठ रहा है। जिसके कारण लोग झाड़फूंक अंधविश्वास की तरफ बढ़ रहे हैं।

दरअसल राजपुर विकासखंड का बाड़ी चलगली गांव ब्लॉक मुख्यालय से करीब 70 किमी.की दूरी पर स्थित है। यहां की सैकड़ो आबादी के लिए गांव में एक अस्पताल जरूर है, लेकिन कर्मचारियों की कमी की वजह से यह अस्पताल सप्ताह में एक-दो दिन ही खुल पाता है और ऐसे में ग्रामीणों का स्वास्थ्य विभाग से मोह भंग हो गया है और वह अब गांव में ही झाड़फूंक के सहारे इलाज करवा रहे हैं।

लोग झाड़ फूंक का ले रहे सहारा 

यहां पदस्थ शिक्षक ने बताया कि, यदि किसी बच्चे को या ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार की जरूरत होती हैं, तो उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बाड़ीचलगली में दो स्वास्थ्य कर्मचारियों की पोस्टिंग है, लेकिन उन्हें अतिरिक्त प्रभार के रूप में यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। यही कारण है कि ग्रामीण अस्पताल नहीं खुलने से झाड़फूंक का सहारा ले रहे हैं। वहीं मामला सामने आने के बाद ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने स्टाफ की कमी का हवाला देते हुए उच्च अधिकारियों से बात कर व्यवस्था दुरुस्थ करने का आश्वासन दिया है।

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जिला अस्पताल में बेड की कमी

वहीं छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में मौसमी बीमारी के कारण जिला अस्पताल में बेड की भारी कमी देखने को मिल रहा है। जहां एक बेड में ही दो मरीजों का इलाज चल रहा है। हालात ऐसे बन गया है कि, मरीज ज्यादा बेड कम पड़ गए है। एक बेड में दो मरीजों के इलाज होने से वहां काफी नाराज दिख रही है। मरीजों ने बताया कि, दोनों के बीमारी अलग-अलग फिर भी एक बेड में ड्रिप लग रहा है। हम बोले भी अलग बेड दिया जाए पर वह बोले नही है। मजबूरी में हमें एक साथ इलाज कराना पड़ रहा है। अलग-अलग बीमारियों के मरीजों के एक साथ इलाज होने से बीमारी फैलने का भी खतरा बन रहा है, जिससे मरीज भी चिंता में हैं। 

जिले में एक भी स्वाइन फ्लू के मामले नहीं  

वहीं डॉक्टर का कहना है कि, इस मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे एक बेड पर दो मरीज एडजर्स्ट करना पड़ रहा है। यहां सवाल यह खड़ा होता है कि, जब मौसमी बीमारी में ऐसे हालात बन जाते है तो प्रबंधन इसकी तैयारी पहले से क्यों नहीं करती है जब कि, अभी प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में अगर एक बेड में दो मरीजों की इलाज किया जाएगा तो संक्रमण को बढ़ावा मिलेगा। वहीं अलग-अलग बीमारियों के मरीजों के एक बेड में रखने से मरीजों को अन्य बीमारी का खतरा बढ़ेगा। राहत की बात यह है कि, अभी तक जिले में एक भी स्वाइन फ्लू के मामले नहीं मिले है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने उससे निपटने के तैयारी पूरी कर ली है। 
 

 


 

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