रायपुर- देश में शिक्षा गुणवत्ता और शिक्षा के बेहतर विकास के लिए आई.ए.एस, आई.पी.एस और आई.एफ.एस की तरह "भारतीय शिक्षा सेवा" परीक्षा की शुरूआत करने की मांग की गई है। परीक्षा के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग में अधिकारियों का चयन किये जाने की शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह की तरफ से ये मांग की गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में इसकी शुरुआत "राज्य शिक्षा सेवा" परीक्षा (एस.ई.एस.) के माध्यम से किये जाने को कहा है। शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह राष्ट्रीय संयोजक "अखिल भारतीय प्रगतिशील और नवाचारी शिक्षक महासंघ" ने देश में शिक्षा के गुणवत्ता, विकास और उत्कृष्टता की ओर ले जाने के लिये कहा है।
बता दें, शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह ने प्रदेश के पूर्ववर्ती सरकार से पिछले साल जारी किए गए छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए बताया कि, राज्य प्रशासनिक सेवा राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के दो अधिकारियों की पोस्टिंग 'अपर संचालक' के पद पर करने की बात कही थी। इस पर उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर करके चुनौती दी गई थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि, स्कूल शिक्षा विभाग में राज्य प्रशासनिक सेवा, राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को पदस्थ किया जाना कहां तक न्यायसंगत और उचित है।
अधिकारियों की सेवानिवृति होने में कमी...
अधिकारियों की सेवानिवृति होने से लगातार कमी होते जा रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में एक तरफ 11 सालों से नियमित व्याख्याता और प्रधान पाठकों से राजपत्रित द्वितीय श्रेणी के प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं दी गई हैं। प्रदेश में 3,266 से अधिक शासकीय हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल में पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं है। जहां प्रभारी के भरोसे काम चलाया जा रहा हैं। प्राचार्य पद जो कि स्कूल शिक्षा विभाग में राजपत्रित प्रथम श्रेणी और राजपत्रित द्वितीय श्रेणी का प्रशासनिक और एकेडमिक महत्वपूर्ण पद होता हैं। वहीं संचालक, संयुक्त संचालक,अपर संचालक जैसे उच्च पद पर पदस्थापित होने का अवसर मिलता हैं।
'बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली' पर बेस्ड है...
राष्ट्रीय संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि, स्कूल शिक्षा विभाग का बेसिक मूल मंत्र "बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली" पर बेस्ड हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में "शिक्षक प्रशिक्षण" का बड़ा व्यापक महत्व हैं। क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग की समस्त शैक्षणिक गतिविधियां और क्रियाकलाप बाल मनोविज्ञान पर आधारित होती हैं। ऐसे में यह चिंतनीय हैं कि बिना डी. एड., बी.एड., एम.एड. आदि व्यवसायिक डिग्री के अप्रशिक्षित अधिकारियों के बिना बालमनोविज्ञान को समझे और जाने बिना "शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं" का संचालन कैसे किया जा सकता हैं। छत्तीसगढ़ राज्य सहित देश के सभी प्रदेशों में हजारों की संख्या में युवा हर साल कला, वाणिज्य, विज्ञान, कंप्यूटर साइंस आदि विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री के साथ बैचलर ऑफ एजुकेशन बी.एड., मास्टर ऑफ एजुकेशन एम.एड. की व्यवसायिक डिग्री हासिल करते हैं।
युवाओं को आगे आने का मौका मिलेगा...
विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, उप संचालक, संयुक्त संचालक, अपर संचालक जैसे पदों पर योग्य और प्रतिभाशाली युवाओं को आगे आने का मौका मिलेगा। शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि, इसी प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय लोक सेवा आयोग के माध्यम से "भारतीय शिक्षा सेवा परीक्षा" की शुरुआत की जाए, जिससे भारतीय प्रशासनिक सेवा आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ. एस. की तर्ज पर भारतीय शिक्षा सेवा ( Indian Education Service , IES) आई.ई .एस. के माध्यम से शिक्षा में दक्ष और कुशल शैक्षिक प्रशासन के अधिकारियों का चयन हो, जिससे देश में शिक्षा की स्थिति को उत्कृष्ट बनाया जा सकेगा।