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बाल विवाह को लेकर भारत में कड़े कानून हैं। इसके बावजूद भी बाल विवाह हो रहे। पुलिस को सूचना मिलते ही दबिश देकर बाल विवाह होने से रोका रही है।  

नौशाद अहमद - सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के कई गांवों में बाल विवाह हो रहा था। वहीं लग्न मुहूर्त शुरू होते ही सभी जगह शादियों का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में बाल विवाह को रोकने के लिए बाल संरक्षण इकाई और पुलिस की संयुक्त टीम मुस्तैद हैं । वह जगह-जगह पहुँच कर लोगों  को समझाइश देते हुए बाल विवाह होने से रोक रहें हैं। सजा हुआ मंडप और घर में उपस्थित मेहमानों के बीच यह पुलिस के साथ पहुँचे लोग कोई और नही बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी हैं  जो होने जा रहे बाल विवाह को रोकने के लिए पहुँचे है। 

12 जगहों पर दी दबिश, रोका बाल विवाह 

शदियों के सीजन शुरू होते ही सूरजपुर जिले में कई जगहों पर ऐसे भी लड़के और लड़कियों के लिये मण्डप बना कर तैयार कर दिया गया था । जिनकी उम्र अभी कानूनी तौर पर शादी के लिए हुई नही थी । ऐसी जगहों की जानकारी मिलते ही जिले के बाल संरक्षण इकाई और संयुक्त टीम मौके पर पहुँची और अब तक टीम ने 12 जगहों पर दबिश  देकर बाल विवाह रुकवाया और लोगों  को समझाइश देते हुए निर्धारित उम्र में ही शादी करने की सलाह दी है ।

बाल विवाह होने से मानसिक स्थिति पर पड़ता है प्रभाव 

महिला बाल विकास अधिकारी रमेश साहू ने बताया कि, कम उम्र में वैवाहिक में  जीवन बंधने से लड़के और लड़की की मानसिक स्थिति में जहां प्रभाव पड़ता ही है वहीं लड़की की स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा पर प्रभाव पड़ता है और कई दफा यह परिवार वालों की छोटी सी भूल की सजा उस मासूम को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ती है।

मुस्लिम समाज की नई पहल 

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गरिमा सिंह ने बताया कि, बाल विवाह एक कुरीति है इसको लेकर जहां शासन प्रशासन जागरूकता लाने के कई प्रयास कर रहा है वहीं समाज में भी लोग अपनी तर्ज पर इस कुरीति को खत्म करने में लगे है। हाल ही में मुस्लिम समाज ने एक निर्णय भी लिया गया है। जिसमें अब निकाह से पूर्व दूल्हा और दुल्हन को आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में जमा कराने की अनिवार्यता लायी गई है । ताकि किसी भी नाबालिग का निकाह होने से रोका जा सके। वहीं मुस्लिम समाज की इस पहल की अब सराहना भी हो रही है।

परिजनों को दी समझाइश 

मोहम्मद इस्तियाक ने बताया कि, यूं तो कानून में लड़कों और लड़कियों के विवाह लिए 18 वर्ष और 21 वर्ष की आयु निर्धारित है लेकिन इन शादियों के सीजन में कुछ ऐसे भी लड़के - लड़कियों की शादियां तय कर दी जाती है, जो अभी बालिक भी नहीं  हुई हैं । शादी के जुनून में घर वाले यह भी भूल जाते हैं कि, इस शादी से लड़के लड़कियों के ऊपर आगे भविष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा। जब शादी की जानकारी किसी माध्यम से बाल संरक्षण इकाई और पुलिस को मिलता है तो संयुक्त टीम घर पर दबिश देकर लोगों को समझाइश देती है। 

 

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