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कुरुद तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सिरामिक उत्सव नगाड़ा- 2025 का समापन हुआ। इस दौरान देश-विदेश के पहुंचे 22 ख्यातिप्राप्त कलाकारों ने भागीदारी दी। 

यशवंत गंजीर- कुरुद। छत्तीसगढ़ के कुरूद में अंतर्राष्ट्रीय सिरामिक उत्सव नगाड़ा-2025 का समापन हुआ। यह कार्यक्रम हर साल हीरा सिरामिक फाउंडेशन युवा कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित करती है। जिसमें इस साल भी देशभर के कलाकार शामिल हुए और उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।कार्यक्रम के समापन में जिला जनपद पंचायत अध्यक्ष समेत अन्य शामिल हुए। 

होली के बाद रंगमचमी के दिन से लगातार तीन दिनों तक आयोजित हुए इस सिरामिक उत्सव का उद्घाटन नगर पंचायत कुरूद की अध्यक्ष ज्योति भानु चन्द्राकार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नीरज चन्द्राकर, मनोज त्रिपाठी, स्वराज सिंह कलशी ने किया। इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के सिरामिक कार्यशाला में अमेरिका, इजराइल सहित गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 22 से अधिक ख्यातिप्राप्त कलाकारों ने भागीदारी की थी। 

International Ceramic Festival Nagada
समापन के दौरान उपस्थित कलाकार

 सृजनकर्ता कलाकार ही अपनी कल्पना को आकार देता है

कलेक्टर मिश्रा ने कहा कि, कलाकार सृजनकर्ता होता है वो अपनी कल्पना को आकार देता है, जिनमें ईश्वरीय शक्ति होती है वहीं सृजन कर सकता है। साथ ही कलाकारों को यह आश्वासन भी दिया कि आने वाले समय में इस प्रकार के आयोजनों को हर संभव सहायता प्रशासन की ओर से दिलाने का प्रयास किया जायेगा। जिपं. के सीईओ रोमा श्रीवास्तव और अनुविभागीय अधिकारी कुरुद नभ सिंह कोशले ने भी देश विदेश से आए कलाकारों से उनकी कला के विषय में विस्तार से जाना। नवोदित कलाकारों की कला के प्रति समर्पण भावना को देख अतिथिगण अत्यंत प्रभावित हुए। 

अमेरिका और इजराइल से भी पहुंचे थे कलाकार

कार्यशाला के अंतिम दिन अमेरिका से भारत कला की भारतीय विधा सीखने आए कलाकार डेनिस स्टीलवेल और इजराइल में निवासरत भारतीय मूल के कलाकार चंचल बंगा ने कला की अपनी शैली प्रदर्शन डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से किया। ऐसे ही भुवनेश्वर से आए हुए कलाकार सरोज राउत ने अपने काम के बारे में विस्तार से बताया। तीन दिन तक चले कार्यशाला में देशभर के कलाकारों ने हिस्स्सा लिया था।

स्थानीय संस्कृति से मेहमान कलाकारों किया परिचित

कार्यशाला के संयोजक चिरायु सिन्हा और सहसंयोजक देशना जैन ने आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास किया। साथ ही कार्यशाला में उन्होंने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। सबसे महत्वपूर्ण छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति से मेहमानों को परिचित कराने का प्रयास भी किया।

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