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वर्तमान में अब तक उद्यान में 15 बड़े एवं 40 बच्चे मगरमच्छ मिले हैं। इंद्रावती नदी एवं विभिन्न नालों में मिलने वाले मगरमच्छ को कांगेर नदी में छोड़ा जा रहा है।

जगदलपुर। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण के लिए पहली बार जलीव जीव मगरमच्छ की 3 फरवरी से गणना की जाएगी। वर्तमान में अब तक उद्यान में 15 बड़े एवं 40 बच्चे मगरमच्छ मिले हैं। इंद्रावती नदी एवं विभिन्न नालों में मिलने वाले मगरमच्छ को कांगेर नदी में छोड़ा जा रहा है, साथ ही ऐसे युवा के चलते उद्यान में लगातार मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है। कर्मचारी एवं आसपास के ग्रामीण युवा शामिल होंगे। मगरमच्छ पानी का जीव है उसे भोजन भी वहीं मिलता है। उद्यान से सटे गांवों के ग्रामीण युवा मगरमच्छ को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं, जो मगरमच्छ के अंडे आदि को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं। युवाओं ने बताया कि मगरमच्छ पानी में 35 किलोमीटर प्रति घंटा और जमीन पर 17 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से आगे बढ़ता है।

संरक्षण के लिए करेंगे गणना

उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि उद्यान में पर्यटकों के लिए लगभग 50 कर्मचारी तैनात हैं, जो पर्यटकों की सुविधा में जुटे रहते हैं। मगरमच्छ के संरक्षण के लिए उद्यान में पहली बार गणना की जा रही है, जिससे उन्हें संरक्षण किया जा सके।

पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 1982 में स्थापित 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का राष्ट्रीय उद्यान यहां की 15 से अधिक सुंदर लाइमस्टोन की गुफाएं, तीरथगढ़, कांगेर धारा जलप्रपात, दुर्लभ वन्य जीव वन्यजीव जैसे उदबिलाव, माउस डियर, जॉइंट सक्वरल, लेथिस सॉफ्टशेल टर्टल, जंगली भेड़िया के साथ-साथ 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां, वनस्पतियों की 900 अधिक प्रजातियों और तितलियों की 140 से अधिक प्रजातियों के ख्याति प्राप्त है। उद्यान में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2022 में 18000 हजार, विदेशी 16 पर्यटक एवं वर्ष 2023 में 1.28 लाख, 43 विदेशी पर्यटक पहुंचे, इस तरह से पिछले वर्ष से इस वर्ष १ गुना पर्यटक पहुंचे।

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