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कर्णेश्वर महादेव मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया गया है। यहां पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। देवी-देवताओं का अद्भुत श्रृंगार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

गोपी कश्यप- नगरी। ऐतिहासिक कर्णेश्वर महादेव मंदिर में माघ पूर्णिमा के अवसर पर मेला आयोजित किया गया है। इस मेले में हजारों दर्शनार्थियों सहित सीमावर्ती राज्य उड़ीसा, बस्तर और अंचल के कोने-कोने से आंगा देव सहित सैंकड़ों देवी-देवता अपने पूरे स्वरूप में मंदिर पहुंचे। देवी-देवताओं ने डांग-डोली, बाना आदि लिए जोहार भेंटकर परंपरागत रूप से मंदिर परिसर में परिक्रमा की। 

सिहावा विधायक और ट्रस्ट के संरक्षक अम्बिका मरकाम, कर्णेश्वर मन्दिर ट्रस्ट अध्यक्ष विकल गुप्ता, संरक्षक कैलास पवार, पूर्व विधायक श्रवण मरकाम, पूर्व विधायक पिंकी शिव राज शाहउपाध्यक्ष राम प्रसाद मरकाम,रवि दुबे आदि पदाधिकारियों ने फूल-माला पहनाकर उनका स्वागत किया। हर साल की भांति इस साल भी मेले में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी। दूर-दूर से लोग मेला स्थल पहुंचे। मंदिर में उन्होंने कतारबद्ध हो दर्शन किया। 

ये हैं व्यवस्थाएं 

पुलिस-प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद रहे। देउर पारा के युवाओं ने सारी व्यवस्था संभाली। पुलिस विभाग ने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। स्काउट-गाइड की छात्र-छात्राओं ने मंदिर परिसर में भोजन परोसा। स्वास्थ्य विभाग और नगर पंचायत की टीम भी अपनी सेवाओं में डटे रहे। 

A feast was organized
भंडारे का किया गया आयोजन

छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन 

लोगों ने मेले में क्राफ्ट बाजार, मीना बाजार, मौत का कुंआ, सर्कस, झूला-ड्रेगन, आदि का लुत्फ उठाया। वहीं विभिन्न दुकानों में जमकर खरीददारी की, जिससे दुकानदारों ने राहत की सांस ली। रात को छतीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘पुराणिक साहू कृत लहर गंगा’ का मंचन हुआ, जिसका दर्शकों ने लुत्फ उठाया। 

Gods and Goddesses at the fair
मेले में आए देवी-देवता

मेले में देवी- देवताओं का अद्भुत श्रृंगार

ऐतिहासिक कर्णेश्वर धाम मेले में इस साल देवी-देवताओं का अद्भुत श्रृंगार श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना। देवपूर, सिहावा में आयोजित इस धार्मिक मेले में हजारों श्रद्धालु पहुंचे और भव्य झांकियों का दर्शन कर स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस किया। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है, जिससे पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक आभा से आलोकित हो उठा। देवी-देवताओं की अलौकिक साज-सज्जा ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूजा-अर्चना और पररम्परागत वाद्यों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया।

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