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भारत में सबसे पहले डोंग गांव में ही सूर्योदय होता दिखाई देता है। जब हम और आप गहरी नींद में सो रहे होते हैं, तब लोग यहां दिन की शुरुआत कर चुके होते हैं।

संकल्प के सूरज से फूटीं बदलाव की असंख्य रश्मियां इनसे ही अपना रोशन जहां

रूचि वर्मा - रायपुर।  अरुण  का अंचल अर्थात अरूणांचल यहां के डोंग गांव में ही भारत में सबसे पहले सूर्योदय होता दिखाई देता है। जब हम और आप गहरी नींद में सो रहे होते हैं, तब लोग यहां दिन की शुरुआत कर चुके होते हैं। गर्मियों के दिनों में तड़के 3 बजे से ही सूरज दस्तक दे देता है। लालिमा छानी शुरू हो जाती है। ठंड के दिनों में भी 4 बजे के करीब सूर्योदय हो चुका होता है। सूरज सबसे पहले उगता है तो सूर्यास्त भी सबसे पहले। शाम 4 बजे अस्त होना शुरू होता है और शाम 5 बजे तक यह गांव पूरी तरह से अंधेरे में डूब चुका होता है। यह गांव है अरुणाचल प्रदेश का डोंग घाटी में स्थित डोंग गांव। यह धरती से करीब 1240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

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स्थानीय निवासी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्रोफर मोगे रिबा ने हरिभूमि के लिए ढेर सारी तस्वीरें खींची। बेहद खूबसूरत और मन को मोह लेने वाली तस्वीरें। जब सूरज की पहली किरण इस मोहक धरा को छूती है, और तब जब सूरज डूबने लगता है। यहां सब खूब प्रसन्न रहते हैं और स्वस्थ भी। कैसे? स्थानीय लोगों ने इसके कारण हरिभूमि से साझा किए। लोग कहते हैं कि हमारे स्वास्थ के लिए सबसे खतरनाक है फास्ट फूड। डोंग घाटी के लोग फास्ट फूड से दूर हैं। यहां अब भी आदिम तौर- तरीकों से ही भोजन बनाया जाता है। तेल- मसालों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है। यही वजह है कि यहां अस्पताल में खान-पान और रहन-सहन से जुड़ी बीमारी के मरीज गिनती के ही पहुंचते हैं।


केवल सरकारी स्कूल

स्थानीय निवासी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्रोफर मोगे रिबा ने हरिभूमि के लिए ये तस्वीरें खींची हैं। वे बताते हैं कि डोंग में आबादी अधिक नहीं है। यहां प्राइवेट स्कूल नहीं हैं। केवल सरकारी स्कूल ही हैं। ठंड के दिनों में 3.30 तक स्कूल बंद हो जाते हैं। यदि पहाड़ों में चढ़कर सूर्योदय का नजारा देखना हो तो रात 2.30 बजे से ही चढ़ाई शुरू करनी पड़ती है।

सब कुछ प्राकृतिक

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया में अधिकारी बिनायक दास बताते हैं, यहां सबकुछ प्राकृतिक है। कोई भी टूरिस्ट स्पॉट ऐसा नहीं है, जिसे तोड़-फोड़कर या कृत्रिम रूप से बनाया गया हो। यहां बच्चे भी सुबह 5 बजे तक उठ जाते हैं। घरों में महिलाएं इससे भी पहले उठ जाती हैं। वे प्रकृति के अनुसार ही चलते हैं।

इन्हें स्वस्थ्य रखता है खाना बनाने का तरीका

अरुणाचल प्रदेश के राजीव गांधी केंद्रीय विवि में प्राध्यापक डॉ. शंभु प्रसाद बताते हैं कि यहां के लोगों की जिंदगी बहुत सामान्य, शांतिपूर्ण और पूरी तरह से प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने वाली है। जो चीज यहां के लोगों को स्वस्थ रखती है वो है यहां खाना बनाए जाने का तरीका। यहां के लोगों का भोजन उबला हुआ होता है। तेल-मसाले का प्रयोग नहीं होता है। अदरक और लहसुन को कुचलकर इसमें मिलाया जाता है। नॉनवेज में भी तेल-मसाले स्थानीय निवासी नहीं डालते हैं। उसे भी उबालकर या भूनकर ही खाते हैं। यहां के अस्पतालों में खान-पान जनित रोगियों की संख्या नहीं के बराबर है।
 

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