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यह कहानी शहर में स्थित कोपलवाणी चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन संस्था में रहने वाले रंजूला पटेल और आलोक जायसवाल की है। दोनों बचपन से सुन और बोल नहीं पाते।

रायपुर। पांच साल की उम्र में घर से मूकबधिर संस्था में छोड़े गए दो मूकबधिर बच्चे पढ़-लिखकर साथ-साथ बड़े हुए। युवा  अवस्था में पहुंचने के बाद उनके बीच की दोस्ती प्यार में बदल गई, जिसके बाद एक- दूसरे के साथ जिंदगीभर रहने की दोनों ने कस्में खाईं। उनके इस फैसले  को संस्था ने भी मिसाल बनाने का प्रयास किया। दोनों के परिजनों से उनकी शादी के लिए रजामंदी लेते हुए पूर्ण रीति-रिवाज के साथ धूमधाम से उनका विवाह कराया। यह कहानी शहर में स्थित कोपलवाणी चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन संस्था में रहने वाले रंजूला पटेल और आलोक जायसवाल की है। दोनों बचपन से सुन और बोल नहीं पाते। इन दोनों को उनके परिजनों ने उनके मूकबधिर होने तथा अपनी गरीबी के कारण करीब 5-5 साल की उम्र में इस मूकबधिर संस्था में छोड़ गए थे।

संस्था की प्रमुख पद्मा शर्मा ने बताया कि, रंजूला गुंडरदेही की रहने वाली है. वहीं आलोक कसडोल का रहने वाला है। रंजूला की मां का बचपन में निधन हो गया था, जिसके बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। उसका एक बड़ा भाई भी है। दूसरी शादी करने के बाद उसके पिता उसे संस्था में छोड़कर चले गए थे। इसी प्रकार आलोक छोटा था, उसी दौरान उसके पिता की मृत्यु होथा, उसी दौरान उसके पिता की मृत्यु हो ठगई थी। आलोक का एक भाई और एक बहन भी है। आलोक सबसे छोटा है। आलोक के पिता के गुजरने के बाद उसकी मां कमला चाय की दुकान चलाती थी, जिसके कारण तीनों बच्चों का भरण-पोषण करने में उसे काफी दिक्कत होती थी। आलोक मूकबधिर था। उसके लिए गांव में स्कूल भी नहीं था। इस कारण कमला भी आलोक को संस्था में छोड़ गई थी।

दोनों ग्रेजुएशन कर जॉब कर रहे 

रंजूला ने संस्था में रहते हुए स्कूल और फिर कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। रंजूला वर्तमान में रिलायंस मार्ट में काम करती है। आलोक भी रंजूला के साथ बचपन से स्कूल की यहीं पढ़ाई कर कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। आलोक ने पढ़ाई के साथ डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लिकेशन किया है। वह फ्लिपकार्ट में काम कर रहा है।

गायत्री मंदिर में धूमधाम से हुई शादी

रंजूला-आलोक का विवाह शनिवार को शहर के समता कालोनी स्थित गायत्री मंदिर परिसर में किया गया। शादी में संस्था की संचालक पद्मा शर्मा के साथ यहां पढ़ाने वाली सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए। विवाह में रंजूला और आलोक के परिजनों को भी बुलाया गया था। शादी से पहले दूल्हे की बारात से लेकर उसका स्वागत, कन्यादान सहित अन्य सारी रश्में भी संस्था की ओर से निभाई गई।

मूकबधिर ऊपर से गरीबी, कैसे पालती

आलोक की मां कमला ने हरिभूमि को बताया कि, उसके तीन बच्चे हैं। इसमें आलोक और उसकी बेटी मूकबधिर है। आलोक सुन-बोल नहीं पाता और उसकी बेटी तुतलाने के साथ सुन नहीं पाती। उसके पति की मौत के बाद तीनों का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा था, वहीं मूकबधिर होने के कारण उनका भविष्य भी अंधकार में जाता दिखाई दे रहा था, इसलिए उन्होंने आलोक को मूकबधिर आश्रम में भेजा।

 

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