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लेमरू प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद क्षेत्र को विकसित करने वन विभाग 20 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है।

रायपुर। अंबिकापुर, कोरबा, सरगुजा, धरमजयगढ़ तथा रायगढ़ में मानव हाथी द्वंद्व रोकने लेमरू प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद क्षेत्र को विकसित करने वन विभाग 20 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। प्रोजेक्ट के तहत हाथी विचरण क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। भोजन तथा पानी की तलाश में हाथी जंगल से बाहर नहीं निकले, इसके लिए वन विभाग के अफसर कार्ययोजना बना रहे हैं। वन अफसरों के मुतबिक चिन्हांकित एरिया में फलदार पौधे लगाने के साथ ही हाथियों को पूरे - वर्षभर पीने के लिए पानी मिल सके, इसकी व्यवस्था की जाएगी।

गौरतलब है कि,  राज्य के ज्यादातर जिले हाथी प्रभावित जिले में शामिल हो गए हैं। राज्य में बहुतायत में ओडिशा तथा झारखंड से हाथी पहुंच रहे हैं। राज्य में सबसे ज्यादा हाथी की संख्या सरगुजा संभाग के साथ बिलासपुर संभाग के कोरबा, रायगढ़ में है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कोरबा, रायगढ़ तथा सरगुजा वनमंडल के दो हजार किलोमीटर के एरिया को हाथियों के लिए संरक्षित कर लेमरू प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है।

ऐसे करेंगे विकसित 

एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ प्रेम कुमाक के मुताबिक एलिफेंट रिजर्व जिन वनमंडलों के क्षेत्र से सटा है, उन वनमंडलों को एलिफेंट रिजर्व को किस तरह से विकसित किया जाए, इसके लिए कार्ययोजना बनाने के लिए कहा गया है।एलिफेंट रिजर्व लेमरू में फलदार पौधा रोपण करने के साथ ही हाथियों के लिए चारागाह का निर्माण किया जाएगा। साथ ही हाथी पानी की तलाश में जंगल से बाहर नहीं निकले, इसके लिए जंगल में पानी के लिए स्थायी व्यवस्था की जाएगी। पानी की स्थायी व्यवस्था करने बड़े तालाब निर्माण करने के साथ ही नहर का निर्माण कर नदियों से जोड़ा जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला के मुताबिक एलिफेंट रिजर्व को विकसित करने वन विभाग जो भी योजना तैयार कर रहा है, उसके लिए वन अफसरों को ग्रामसभा से सहमति लेकर तथा उनसे विचार कर कार्ययोजना बनाना चाहिए।

नो गो एरिया घोषित करने अनुशंसा

उल्लेखनीय है कि,  एलिफेंट रिजर्व बनाने जिन क्षेत्रों को चिन्हांकित किया गया है, उन क्षेत्रों में हाथियों के अलावा कई विलुप्त प्रजाती के वन्यजीव पाए जाते हैं, जो इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की लिस्ट में रेड सूची में हैं। क्षेत्र में वन्यजीवों की बहुलता को देखते हुए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट आफ इंडिया (डब्लूआईआई) ने हसदेव अरण्य के उत्तरी क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित करने अनुशंसा की है। डब्लूआईआई ने चेतावनी दी है कि जिस क्षेत्र को नो गो एरिया के लिए अनुशंसा की गई है, उस क्षेत्र में किसी भ तरह का उत्खनन होने पर हाथी वहां से निकलकर राज्य के अन्य क्षेत्र में फैल जाएंगे, जिस पर काबू पाना संभव नहीं होगा।

कार्ययोजना बनाकर रिपोर्ट देने कहा है

वाइल्ड लाइफ के एपीसीसीएफ प्रेम कुमार ने बताया कि, एलिफेंट रिजर्व लेमरू को विकसित करने 20 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के वन मंडल अधिकारियों को कार्ययोजना बनाकर रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
 

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