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विधानसभा में गूंजा शराब का मुद्दा: शराब दुकानों के संचालन में लाखों का हेरफेर हो रहा है। नियम बनाए तो गए हैं लेकिन पालन कराने वाला कोई नहीं है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र जारी है। बुधवार को सदन में शराब दुकानों को लेकर बीजेपी विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा, प्रदेश में देशी/विदेशी शराब की लगभग 700 दुकानें संचालित हैं। उनके संचालन के लिए प्लेसमेंट एजेंसियां कार्यरत हैं। दुकानों की सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा एजेंसी तैनात की गई है, मगर विभागीय अधिकारियों की मॉनीटरिंग के अभाव में तैनात एजेंसियां अमानत में खयानत करने में लगी हैं। 

शराब दुकानों के संचालन के लिए बकायदा शासन के दिशा-निर्देश हैं, पर पालन कराने वाला कोई नहीं। प्लेसमेंट एजेंसियां दुकान के संचालन के नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ा रही हैं। प्रदेश के 700 दुकानों में आज तक कभी न तो स्टॉक का मिलान किया गया और न ही बिक्री राशि का हिसाब। वे अपनी मर्जी के अनुसार, कोषालय में जमा और खर्च कर रहे हैं। 

लाखों का हो रहा हेरफेर 
बता दें कि, 31 दिसंबर तक कांकेर, सूरजपुर और दंतेवाड़ा की दुकानों में लगभग 25 लाख से ज्यादा की नगद रुपयों की चोरी की रिपोर्ट उजागर हई है। सच तो यह है कि, प्रदेश की दुकानों से विधिवत रूप से प्रतिदिन की बिक्री की राशि कोषालय में जमा की जा रही है या नहीं, इस तरफ किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं है। सिर्फ औचक निरीक्षण की आड़ में सभी दुकानों से मोटी रकम और उगाही हो रही है।

राजधानी की दुकानों में मची है लूट
विधायक धर्म जीत सिंह की बात बिलकुल जायज है। प्रदेश में तो हालात खराब हैं ही, लेकिन सबसे ज्यादा खराब हालत राजधानी रायपुर की शराब दुकानों में है। यहां शराब दुकानों के कर्मचारी दुकान में भीड़ लगने का इंतजार करते हैं। भीड़ नहीं हो तो वे किसी न किसी बहाने से भीड़ लगने का इंतजार करते हैं, ताकि वे मनमानी कर पाएं। भीड़ की आड़ में कर्मचारी पैसे लेकर भी शराब नहीं देते। यानी पैसे किसी और ने दिए, लेकिन कर्मचारी परस ही खड़े अपने आदमी के हाथों में बोतल पकड़ा देता है। उसके बाद उसकी कोई सुनवाई नहीं। इस तरह की लूट भाठागांव की दुकान में रोज दर्जनों लोगों के साथ हो रही है।  

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