रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव, कांकेर और महासमुंद सीट का फैसला शुक्रवार को होगा। इन तीनों सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज तो हैं ही, कुछ ऐसे लोग भी ताल ठोक रहे हैं जिनका चुनाव का खर्च तकरीबन जीरो है। मतलब है, नामांकन खर्च को छोड़कर प्रचार के लिए उन्होंने पैसा ही खर्च नहीं किया। किसी ने बस से सफर कर हाथ जोड़कर मेले-ठेले में वोट मांगा तो किसी ने मोटरसाइकिल से ही पूरा इलाका घूम लिया। कांकेर लोकसभा एसटी के लिए आरक्षित सीट है, यहां से अंबेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी 26 साल के सोन सिंह हैं। उन्होंने निर्वाचन आयोग को दिए नामांकन ब्योरे में बताया है कि उनके हाथ में नकदी पांच हजार रुपए है। बैंक में 15 रुपए जमा हैं, उन पर पांच लाख रुपए लोन की देनदारी है। खेती मजदूरी का काम करते हैं।
सोन सिंह ने 24 अप्रैल तक केवल 13 हजार 890 रुपए खर्च किए हैं। इसमें भी 12 हजार पांच सौ रुपए नामांकन शुल्क शामिल है। सोन सिंह ने बताया कि पार्टी से कोई सहयोग राशि नहीं मिली है। हमारे पास कोई बजट नहीं है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि चुनाव लड़ने के लिए हौसले की कमी नहीं है। 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट पर प्रत्याशी थे। कोंडागांव सीट से लड़े और 3 हजार 48 वोट पाए थे। इसी जिले से वे अपनी पार्टी के जिला अध्यक्ष भी हैं।
खर्च की लिमिट 95 लाख रुपए
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों को खर्च करने की लिमिट 95 लाख रूपए है। सामान्य सीटों पर नामांकन के लिए 25 हजार रुपए और आरक्षित सीटों पर एससी एसटी आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों के लिए 12 हजार 500 रुपए शुल्क निर्धारित है। सभी प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार के दौरान किए गए खर्चों का ब्योरा आधिकारिक रूप से निर्वाचन आयोग को देना है।
केवल नामांकन में खर्च किए 25 हजार
राजनांदगांव लोकसभा सीट से भुवन साहू निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने नामांकन के लिए 25 हजार रुपए खर्च किए हैं। निर्वाचन आयोग को दिए ब्यारे में उन्होंने खुद को कृषि मजदूर बताया है। उनके पास हाथ में नगदी 10 हजार रुपए है।