रायपुर। छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट से एक आदिवासी युवा डॉक्टर प्रकाश कुमार गोटा निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान पर हैं। वे इस चुनाव में राजनीति करने के शौक को लेकर नहीं कूदे हैं। चुनाव में उतरने की जरूरत उन्हें सिस्टम के खिलाफ लड़ाई करने और प्रताड़ना के खिलाफ है। प्रकाश गोटा के पिता की बस्तर में नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। जब वे किर्गिस्तान से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर गांव लौटे, तो उनके भाई का नक्सलियों ने अपहरण कर भारी प्रताड़ना दी। इसकी वजह से वह कई महीनों से कोमा में हैं। प्रकाश गोटा का कहना है कि सरकार और प्रशासन ने कभी उनकी बात नहीं सुनी, न्याय नहीं मिला इसलिए चुनाव मैदान पर आए, ताकि खुद के परिवार और बस्तर में रहने वाले अपनी तरह के लोगों को न्याय दिला सकें।
बस्तर लोकसभा सीट के इस डॉक्टर प्रत्याशी की हालत ये है कि वे अपने गांव बीजापुर जिले के फरसेगढ़ में जाने की स्थिति में नहीं हैं। फिलहाल वे जगदलपुर में अपने एक मित्र के यहां हैं। पिता की नक्सल हत्या और भाई के अपहरण, हमले के बाद उन्हें सुरक्षा का भारी खतरा महसूस हो रहा है। प्रकाश गोटा ने हरिभूमि से चर्चा में कहा कि वे आम आदमी हैं, कोई राजनीतिज्ञ नहीं हैं। यही वजह है कि वे किसी पार्टी से टिकट मांगने नहीं गए। निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
डॉक्टर बनकर लौटा तो घर पर आई मुसीबत
प्रकाश कुमार गोटा ने बताया कि जून-जुलाई 2023 में वे किर्गिस्तान से डॉक्टरी (एमडी) की पढ़ाई पूरी करके अपने गांव लौटे थे। इसी समय अगस्त में उनके भाई भाजपा के जिला प्रचार प्रमुख महेश कुमार गोटा का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया। 20 अगस्त को अपहरण के बाद अगले दिन उन्हें नक्सलियों ने बुरी तरह मारपीट कर जख्मी कर दिया था। प्रकाश गोटा ने अपने भाई को नक्सलियों से बचाया और छुड़ाकर घर लाए। जगदलपुर के अस्पताल में इलाज करवाया। हालत अत्यंत गंभीर होने पर दिल्ली ले गए। वहां उसे ब्रेन इंजरी हो गई। इसके बाद से महेश कुमार गोटा आज तक कोमा में है, और जिंदगी-मौत से जूझ रहा है।
पिता की नक्सलियों ने की थी हत्या
प्रकाश गोटा के पिता चिन्नाराम सलवा जुड़म के नेता थे। 2012 में नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी, लेकिन इस घटना के बाद भी उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली। इस घटना के बाद भी परिवार नक्सलियों के निशाने पर बना रहा। प्रकाश के भाई की हत्या के बाद कई बार नक्सलियों ने प्रताड़ित किया। फसलें बरबाद कर दी। गाड़ी जला दी। अभी भी बीजापुर में गोटा परिवार के सामने जान का खतरा है। प्रकाश गोटा की सबसे बड़ी परेशानी ये है कि किसी भी पार्टी की सरकार और प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। वे कई नेताओं और प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखे चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिली।
बस्तर में जिंदा रहना ही सबसे बड़ा मुद्दा
बस्तर लोकसभा सीट के निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश कुमार गोटा का कहना है कि बस्तर में अभी भी लोग परेशान और प्रताडित हैं। उनका ये दावा भी है हजारों की संख्या में ऐसे परेशान प्रताड़ित लोग उनसे जुड़े हैं। उनके कहने पर ही उन्होंने चुनाव लड़ने का रास्ता चुना है। वे कहते हैं कि मैं गांव में डॉक्टरी करना चाहता था, लेकिन अब मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। बस्तर में जिंदा रहना ही सबसे बड़ा मुद्दा है।