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देश करीब डेढ़ करोड़ रुपए में गैंगस्टर, भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों, आर्थिक घोटालेबाजों को नागरिकता प्रदान करता है। सौरभ और रवि ने गिरफ्तारी से बचने के लिए यहां की नागरिकता ली है।

रायपुर। हरिभूमि में रविवार को सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के संदर्भ में समाचार प्रकाशित होने के बाद पाठकों में यह जिज्ञासा हुई कि ये वानुआतू क्या है? कहां स्थित है। यहां क्यों लोग जाकर बस जाते हैं। हरिभूमि की पड़ताल में सामने आया कि  यह देश करीब डेढ़ करोड़ रुपए में गैंगस्टर, भ्रष्ट  पुलिस  अधिकारियों, आर्थिक घोटालेबाजों को नागरिकता प्रदान करता है। सौरभ और रवि ने गिरफ्तारी से बचने के लिए यहां की नागरिकता ली है। 

यहां भारत समेत कई देशों के अपराधी

वानु आतू देश में भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों के अपराधी शरण लिए हुए हैं। इनमें दक्षिण अफ्रीका के कुख्यात कारोबारी राजेश और अतुल गुप्ता के भी वहां रहने की जानकारी मिली है। दक्षिण अफ्रीका के ही रईस काजी और अमीर काजी दोनों भाई हैं, वे भी यहां जा बसे हैं। इनके संबंध में जानकारी मिली है कि ये लोग एफपी क्रिप्टो प्लेटफार्म चलाकर 27 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करके भागे हैं। इसी तरह हैय्याम गरीब ओमनू, जो सुमेर बैंक का मालिक था, अरबों रुपए का घोटाला करने तथा अपने भतीजे के अपराध को छिपाने का अपराधी है, वह भी भागकर यहीं पहुंचा है। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता विनय मिश्रा का नाम भी है। बताया गया है कि उसके खिलाफ वर्ष 2020 में सीबीआई जांच प्रारंभ हुई थी, इसके बाद वह गायब हुआ और बाद में उसके वानु आतू में होने का जानकारी सामने आई।

कई द्वीपों से मिलकर बना है ये देश

यह देश प्रशांत महासागर में स्थित है और ऑस्ट्रेलिया से करीब 1700 किलोमीटर दूर कई द्वीपों से मिलकर बना है। इस देश की आबादी करीब 3 लाख है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां भारत ही नहीं,बल्कि दुनिया के सबसे कुख्यात अपराधी कानूनी फंदे से बचने के लिए नागरिकता लेते हैं। बताते हैं कि किसी समय देश से भगोड़े नीरव मोदी ने भी यहां की नागरिकता लेने की कोशिश की थी, लेकिन एजेंसियों को खबर लगने के बाद उसने इरादा बदल दिया। भारत ही नहीं, दुनियाभर के करीब दो हजार से ज्यादा कुख्यात लोगों ने यहां की नागरिकता बीते सालों में ली है।

परिवार और नस्लें भी रह सकती हैं यहां

वानु आतू के संबंध में जानकारी मिली है कि यहां की नागरिकता लेने वाले लोगों का नाम भी बदला जा सकता है। नागरिकता लेने वाला व्यक्ति खुद भी रह सकता है, उसके परिवार के सदस्य और उनकी नस्लें भी रह सकती हैं। यहां ये लोग घर बना सकते हैं, बिजनेस भी कर सकते हैं, लेकिन इसके एवज में मोटी रकम भी अदा करनी पड़ती है। सौरभ और रवि उप्पल के बारे में जानकारी है कि इन दोनों ने यहां की नागरिकता हासिल कर ली है।

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