अतुल अग्रवाल/आनंद ओझा भिलाई। दुर्ग में एक सामूहिक विवाह का आयोजन रविवार को किया जा रहा है। विवाह दिव्यांगों का होना है। आयोजक है आस्था बहुद्देशीय कल्याण संस्थान, छत्तीसगढ़। वैसे यह संस्था पहले भी सैकड़ों युवक-युवतियों का विवाह करा चुकी है। लेकिन इस बार हल्ला मचा कि संस्था हर जोड़े को एक लाख रुपए देगी। साथ में दहेज़ भी दिया जाएगा। बस...उसके बाद सरगुजा, अंबिकापुर, सूरजपुर, बिलासपुर बस्तर से बसों और ट्रेनों में भर-भरकर जोड़े दुर्ग पहुंच गए। पंजीयन केवल 301 का था, पहुंच गए 350 से ज्यादा।
हरिभूमि की पड़ताल में खुलासा हुआ कि, इसमें 30 से ज्यादा ऐसे जोड़े भी हैं जो पहले से शादी शुदा हैं। इतना ही नहीं, एक 27 साल का युवक 45 साल की महिला को लेकर विवाह करने पहुंचा है। जोड़ों को धमधा टोल नाका स्थित अग्रसेन वेलफेयर सोसाइटी और आदित्य नगर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे भवन में ठहराया गया है। आस्था संस्था द्वारा कराए जा रहे इस सामूहिक विवाह में पंजीयन 301 जोड़ों का किया गया है, लेकिन 350 से ज्यादा जोड़े शादी के लिए पहुंचे हैं। दावा किया जा रहा है कि आयोजन में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड से भी जोड़े पहुंच रहे हैं।
एक लाख का हल्ला, और प्रमाण पत्र के साथ सामान
सामूहिक विवाह कार्यक्रम में पहुंचे दिव्यांगजनों ने बताया कि, शादी के बाद 1 लाख रुपए मिलेंगे। इसके अलावा आस्था संस्था प्रमाणपत्र और दहेज का सामान अलग से देगी, इसकी वजह से वे आयोजन में शामिल होने के के लिए पहुंचे हैं। बस्तर, छुरिया, मोहला जैसे क्षेत्रों से भी कुछ लोग यहां आए हुए हैं।
शादी के 6 महीने के अंदर करना होता है आवेदन
योजना के तहत शादी के 6 महीने के अंदर दिव्यांग दंपती को आवेदन करना होता है। इसमें जीवन में सिर्फ एक बार शादी, पार्षद या पंच का सहमति पत्रक, पुलिस वेरीफिकेशन, शपथ पत्र आवश्यक है। इसके बाद समाज कल्याण विभाग द्वारा स्वयं सत्यापन करने के बाद दिव्यांगजन के खाते में राशि ट्रांसफर की जाती है।
सूरजपुर में बारात निकली, गाजे-बाजे के बीच जोड़े रवाना
दुर्ग के अग्रसेन भवन में होने वाला सामूहिक विवाह पूरे सरगुजा और अंबिकापुर क्षेत्र में कौतुहल का विषय बना हुआ है। आयोजन में शामिल होने के लिए रवाना होने से पहले कई गांवों में बारात निकली। गाजे-बाजे के बीच रस्म अदायगी की। इसके बाद बड़ी संख्या में जोड़ों के रिश्तेदार अंबिकापुर-दुर्ग ट्रेन में रवाना हुए। अंबिकापुर के अलावा सूरजपुर जिले के लोग भी आयोजन में शामिल होने रवाना हुए। सूरजपुर में जानकारी के बाद जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास की टीम गांव तक भी पहुंची, लेकिन लोग रवाना हो चुके थे। इस मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी रमेश साहू ने बताया कि संस्था द्वारा प्रतिवर्ष सामूहिक विवाह कराया जाता है। विभाग ने संस्था से किसी भी प्रकार से संबंध होने से इंकार कर दिया। इधर शनिवार को जोड़े और रिश्तेदार दुर्ग पहुंचे। शाम के समय मेहंदी और हल्दी का कार्यक्रम भी हुआ। 16 जून को सुबह 9 बजे से शादी होनी है।
जिम्मेदारों का कहना हमने ऐसी कोई बात नहीं कही
सीधी बात, प्रकाश गेडाम, अध्यक्ष आस्था बहुद्देशीय कल्याण संस्थान छत्तसीगढ़
▶ क्या सामूहिक विवाह के बाद जोड़ों को एक लाख रुपए दिए जाएंगे?
▶ यह गलत है, हमारी संस्था ऐसा कोई वायदा नहीं कर रही है।
▶ सामूहिक विवाह में बड़ी संख्या में दंपत्ती दोबारा शादी करने पहुंचे हैं, क्या यह सही है?
▶ हमने सभी का पंजीयन कराया है, शपथपत्र भी लिया है, यदि वे गलत जानकारी दे रहे हैं, तो उनकी गलती।
▶ संस्था उन्हें लाने-लेजाने और ठहरने का खर्च भी दे रही है क्या?
▶ नहीं लोग अपनी मर्जी से ट्रेन से आए हैं, हमने स्टेशन से लाने के इंतजाम किए, खाने-पीने और ठहरने की भी व्यवस्था की है।
▶ कितने जोड़ों की शादी कराई जा रही है, दंपती तो ज्यादा नजर आ रहे हैं?
▶ हमने सिर्फ 301 जोड़ों का पंजीयन किया है, कुछ निर्धन भी पहुंचे हैं, जिनकी शादी हम कराने जा रहे हैं।
एक लाख की हकीकत यह है
समाज कल्याण विभाग द्वारा शासन की योजना के तहत दिव्यांगजनों को नियम और शर्तों के तहत शादी किए जाने पर यह राशि उपलब्ध कराई जाती है। उसमें भी यदि दंपती में एक दिव्यांग है, तो सिर्फ 50 हजार और दोनों दिव्यांग हो, तो 1 लाख रुपए की राशि दी जाती है। यह राशि समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी की जाती है। हरिभूमि से चर्चा में विभाग के उप संचालक ने कहा, यह आयोजन हमारा नहीं है न हम पैसे देंगे। अगर देंगे तो नियमानुसार केवल दुर्ग के दिव्यांगों को ही राशि मिलेगी।
योजना में पात्र को ही मिलेगी राशि
दुर्ग के समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक प्रकाश परिहार ने बताया कि, संस्था को लेकर हमारा कोई लेना-देना नहीं है। शादी के 6 महीने के अंदर यदि दिव्यांग दंपती आवेदन करते है, तो पात्रता के आधार पर उन्हें योजना का लाभ दिया जाता है। वह भी हम अपने दुर्ग जिले के ही दिव्यांगजनों को योजना का लाभ देंगे। अब इतने सारे दिव्यांग हमारे यहां आ रहे हैं, तो लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को देखते हुए मौके पर टीम गई थी।