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आइये देखें छत्तीसगढ़ में आज हम आपको ले चल रहे हैं ऐसे पौराणिक स्थल की सैर पर, जिसका संबंध त्रैतायुग से रहा है। एक ऐसी नगरी जिसे भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है। यहां पूरी दुनिया में भगवान राम की माता कौशल्या का इकलौता मंदिर स्थित है। 

रोचक है यहां का इतिहास 

भांजे के रूप में भगवान राम
भांजे के रूप में भगवान राम

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 25 किलोमीटर की दूर पर स्थित है चंदखुरी गांव। इस गांव को भगवान राम की माता कौशल्या की जन्म स्थाली माना जाता है। यहां तालाब के बीचो-बीच माता कौशल्या का मंदिर मौजूद है, 1973 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। त्रेतायुग से जुड़े इस स्थान का इतिहास भी रोचक है। इसी गौरवशाली इतिहास के चलते छत्तीसगढ़ में भगवान राम को भांजे के रूप में पूजा जाता है परंपरा ऐसी है कि आज भी भांजे को श्री राम का प्रतीक मानकर यहां मामा अपने भांजे का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। 

तालाब के बीच स्थित है माता कौशल्या मंदिर 

माता कौशल्या धाम मंदिर चंदखुरी
माता कौशल्या धाम मंदिर, चंदखुरी

चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर जलसेन तालाब के बीचो बीच स्थित है। कभी इस इलाके में 126 तालाब हुआ करते थे। फिलहाल 20-25 तालाब ही मौजूद हैं। जलसेन तालाब के बीच में मौजूद होने की वजह से कौशल्या धाम की खूबसूरती और बढ़ जाती है। ऐसा माना जाता है कि राजा दशरथ से विवाह में भेंटस्वरूप राजा भानुमंत ने बेटी कौशल्या को दस हजार गांव दिए थे। इसमें उनका जन्म स्थान चंद्रपुरी भी शामिल था। चंदखुरी का ही प्राचीन नाम चंद्रपुरी था। माता कौशल्या को चंद्रपुर विशेष प्रिय था। राजा दशरथ से विवाह के बाद माता कौशल्या ने तेजस्वी और यशस्वी पुत्र राम को जन्म दिया। जगत पति राजा राम ने अपने बाल्यकाल के अलावा वनवास का भी कुछ समय चंदखुरी में बिताया था। भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया। राज्याभिषेक के बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी ही पहुंचीं थीं। मान्यता है कि यहां स्थित जलसेन तालाब के पास ही वे तपस्या करती थीं। 

मंदिर परिसर में बनाया गया है भव्य द्वार 

भव्य प्रवेश द्वार
भव्य प्रवेश द्वार

यहां परिसर में भव्य गेट, मंदिर के चारों ओर तालाब का सौंदर्यीकरण, आकर्षक पथ निर्माण किया गया है। रात के वक्त मंदिर परिसर की भव्यता देखते ही बनती है। शानदार लाइट्स मंदिर को और आकर्षक बनाते हैं। मंदिर चारों ओर से मनमोहक उद्यानों से घिरा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के सीतामढ़ी में हरचौका से लेकर सुकमा के रामाराम तक 2260 किलोमीटर का रम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित किया जा रहा है। पर्यटन परिपथ के जरिए राज्य में न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन के नए वैश्विक अवसर भी बढ़ेंगे। राज्य पर्यटन बोर्ड द्वारा तैयार की गई राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के प्रथम चरण में भगवान राम के वनवास से जुड़े नौ स्थानों को विकसित करने की योजना है।
 
राम वन गमन पथ सर्किट का हिस्सा

रघुनंदन की जननी माता कौशल्या का ये दुनिया में इकलौता मंदिर है। इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी लोगों को नहीं थी। इस स्थान को असल पहचान मिली साल 2021 में जब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस क्षेत्र का विकास कर इसका कायाकल्प की। प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ में राम वन गमन परिपथ का निर्माण कर रही है। चंदखुरी से राम वन गमन परिपथ की शुरुआत हुई। 21 अप्रैल 2021 को रामनवमी के दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कौशल्या माता के भव्य मंदिर के नए स्वरूप का लोकार्पण किया।

रामलला का ननिहाल है यह जगह 

रामलला का ननिहाल
रामलला का ननिहाल

माता कौशल्या का जन्मस्थान होने की वजह से चंदखुरी के साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ को रामलला का ननिहाल भी कहा जाता है। हर साल दीपावली के अवसर पर चंदखुरी में भी भव्य उत्सव होता है। दीये जलाए जाते हैं। लोग भगवान राम की विजय और अयोध्या वापसी का जश्न मनाते हैं। चंदखुरी स्थित कौशल्या धाम में दीपावली पर नजारा बेहद खास होता है। पूरा परिसर दीपों की श्रृंखला से जगमगा उठता है। रामनवमी, हनुमान जन्मोत्सव के दौरान भी यहां भव्य आयोजन किए जाते हैं। कौशल्या मंदिर के पास ही वैद्यराज सुषेण की समाधि भी है। कहा जाता है कि रावण के अंत के बाद लंका से भगवान राम के साथ सुषेण वैद्य भी आए थे और यहां चंदखुरी में ही उन्होंने प्राण त्यागे थे।

कैसे पहुंचें

चंदखुरी की दूरी रायपुर से 27 किलोमीटर है। रायपुर देश के विभिन्न शहरों से रेल, सड़क और वायु मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। रायपुर से बस, टैक्सी, ऑटो के जरिए आसानी से चंदखुरी पहुंचा जा सकता है।

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