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छत्तीसगढ़ के 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 750 प्राथमिक स्वास्थ्य और 30 जिला अस्पतालों में मेडिकल किट भेजी गईं थीं। 

बिलासपुर, खैरागढ़, रायगढ़ रायपुर, राजनांदगांव। हरिभूमि डॉट कॉम ने सोमवार को खबर प्रकाशित की थी कि छत्तीसगढ़ दवा निगम की 660 करोड़ की मेडिकल किट और उपकरणों की खरीदी पर महालेखाकार ने आपत्ति की है। हरिभूमि ने इस बात की जांच की अगर बिना डिमांड मेडिकल किट की सप्लाई हुई तो आखिर उनका उपयोग क्या हुआ। जो खुलासा हुआ है वो चौंकाने वाला है। जांच में पता चला है कि छत्तीसगढ़ के 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 750 प्राथमिक स्वास्थ्य और 30 जिला अस्पतालों में मेडिकल किट भेजी गईं थीं, उनकी कीमत थी 450 करोड़ रुपए थी उसमें से नब्बे फीसदी डंप हो गई। 

बीते मार्च में ही करीब सौ करोड़ रुपए की किट एक्सपायर हो चुकी हैं। तीन महीने बाद... सितंबर में 150 करोड़ और दिसंबर में 200 करोड़ की किट कचरा बन जाएंगी। यानी साढ़े चार अरब रुपए की बोगस खरीदी में जनता की कमाई स्वाहा हो गई। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेज एवं कार्पोरेशन ने बिना किसी डिमांड और सर्वे के जांच कीट को राज्य के सभी जिलों में भेज दिया गया। बिना डिमांड की आई इन किट का स्वास्थ्य महकमा भी तय समय में उपयोग नहीं कर पाया, क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में तकनीकिशियन थे ही नहीं। तीस फीसदी किट मार्च में, कुछ सितंबर और दिसंबर माह में एक्सपायर हो जाएंगी।

हर केंद्र में 20 से 40 कीट की सप्लाई 

जिला अस्पताल से लेकर पीएचसी और सीएचसी में सीबीसी कंट्रोल किट की सप्लाई की गई है। हर केंद्र में 20 नग कीट भेजी गई है, बड़े अस्पतालों में 40 तक किट भेजी गई। अविभाजित राजनांदगांव जिले में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिलाकर इनकी संख्या कुल 63 है। कुछ किट मार्च 2024 में एक्सपायर हो गई हैं। कुछ इस साल सितंबर और दिसंबर माह में एक्सपायर हो जाएगी।

रायगढ़ में हजार पैकेट और हजार लीटर लिक्विड 

रायगढ में एक हजार पैकेट और करीब हजार लीटर लिक्विड केमिकल आया था, जिसमें से कुछ सीएचसी केन्द्रों में वितरण हुआ है और अभी भी स्वास्थ्य विभाग की लैब में केमिकल पड़ा है। हेल्थ विभाग के स्टोर इंचार्ज लोकेश उरांव ने बताया कि कुछ मात्रा में केमीकल एक्सपायर भी हो चुका है। उसका उपयोग ही नहीं किया जा सका। क्योंकि जो केमिकल भेजा गया वह केवल बड़े अस्पतालों में सप्लाई किया जाता है।

मोक्षित नाम की कंपनी का लगा है लोगो 

छत्तीसगढ़ में जो किट सप्लाई किया गया है उसमें मोक्षित नाम की कंपनी का लोगो लगा हुआ है। सूत्रों के अनुसार इसी कंपनी ने रीएजेंट की सप्लाई की है। खबर यह भी है कि इस कंपनी को 90 करोड़ का भुगतान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भुगतान किया जा चुका है।

सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल बन जाता है 300 करोड़ में 

दवा निगम की बिना डिमांड खरीदी की वजह से जनता के 450 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने पैसे में डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसा अस्पताल खड़ा हो सकता है। या डीकेएस जैसा सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल  नए सिरे से बनाया जा सकता है।

जहां पैथोलॉजी नहीं वहां भी सप्लाई

स्वास्थ्य महकमे द्वारा जिन सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में यह किट भेजी गई है, वहां पैथोलॉजी भी नहीं है और यह किट स्टोर में रखे हुए एक्सपायर हो गई है। महालेखाकार की रिपोर्ट के सामने आने के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में जांच और दोषियों पर कार्रवाई होगी।

मेरी जानकारी में नहीं है

राजनांदगांव के सीएमएचओ डॉ. नवरतन ने बताया कि, मैं हाल ही में यहां पदस्थ हुआ हूं। इस संबंध में मेरे पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। 

रायपुर में कबाड़ हो गया करोड़ों का रीएजेंट

रायपुर जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद रीएजेंट बिना उपयोग के खराब हो गया या दिसंबर तक हो जाएगा। रायुपर के जिला अस्पताल के साथ मंदिर हसौद, लाभांडी, उरला, अभनपुर सहित विभिन्न हेल्थ सेंटरों में करोड़ों के रीएजेंट दबाव पूर्वक सप्लाई की गई। सूत्रों के अनुसार इनमें  ट्राइग्लिसराइड्स रीएजेंट जो हृदय रोग, स्ट्रोक तथा धमनियों में होने वाले ब्लाकेज को रोकने के काम में आती है। बड़ी मात्रा में शुगर मापने वाली ग्लूकोज, लाइपेस सीरिंज जिसका उपयोग रक्त में वसा की मात्रा जानने के लिए किया जाता है, खपाया गया था। स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकीय स्टाफ ने बताया कि कई रीएजेंट ऐसे हैं जिसकी जांच के लिए उनके पास उपकरण भी नहीं है। वहीं कई का उपयोग इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि इसके लिए तकनीकी स्टाफ की जरूरत होती है। छोटे से स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी दवा रखने की जगह में इन्हें रखना पड़ रहा है।

खैरागढ़ में एक भी किट का उपयोग नहीं

खैरागढ़। नवगठित खैरागढ़- छुईखदान-गंडई जिले में भी स्वास्थ्य महकमे द्वारा सन 2022 में सीबीसी की कीट भेजी गई थी। बिना डिमांड के भेजे गई इस किट का बैच नंबर एएमएन 0222 में सौ-सौ एमएल के सात डिब्बे मिले थे। जिसमें एमएफजी 01 जून 2022 और एक्सपायरी डेट 30 नवंबर 2023 अंकित था। कोई भी रीजेंट उपयोग में नहीं आया और एक्सपायरी हो गया।

सीएमएचओ को पता ही नहीं, हेल्थ सेंटरों में हो गई रीएजेंट की सप्लाई

हार्मोनल जांच में उपयोग आने वाले रीएजेंट की सप्लाई में घोटालों के तार दुर्ग से भी जुड़ गए हैं। दुर्ग में 9 से 10 महीने पहले बिना किसी डिमांड के करोड़ों रूप के रीएजेंट की सप्लाई कर दी गई। खास बात है कि, यह बिना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को जानकारी दिए जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रीएजेंट की सप्लाई हो गई। स्वास्थ्य केंद्रों में रीएजेंट पर्याप्त मात्रा में थे, इसके बाद भी रीएजेंट की सप्लाई कर दी गई। इसके अलावा एक्सरे में उपयोग आने वाले डेवलपर से लेकर पाउडर और अन्य दवाओं की सप्लाई कर दी गई। 

दुर्ग के इन हेल्थ सेंटरों में रीएजेंट की सप्लाई 

अधिकारियों ने बताया कि, जिले के जिला और शास्त्री अस्पताल के अलावा सीएचसी धमधा, कुम्हारी, अहिवारा, बोरी, उतई, पाटन, झींट, निकुम में सप्लाई की गई। पीएचसी सेंटरों में पेंड्रावन, सुरडूंग, बटरेल, रानीतराई, खुरसुल, ननकट्टी के अलावा दुर्ग और भिलाई की यूजीपीएचसी में रीएजेंट की सप्लाई की गई। इन सभी जगहों पर डिमांड नहीं होने के बाद भी रीएजेंट भेजा गया। सभी स्टोर कीपर ने आपत्ति भी की, लेकिन उच्च अधिकारियों के निर्देश पर सभी ने हैंडओवर ले लिया। अधिकारियों ने बताया कि, फाइव पार्ट रीएजेंट जिला अस्पताल औश्र श्री पार्ट सीएचसी- पीएचसी में सप्लाई किया गया।

निकुम - बीते ढाई महीना पहले ही नहीं लिया मेडिसिन

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निकुम फार्मासिस्ट राजेंद्र निर्मलकर ने बताया कि बीते ढाई महीने पहले मोक्षित कार्पोरेशन से मेडिसिन निकुम हॉस्पिटल में कुछ मेडिसिन आई, लेकिन दुर्ग सीएमएचओ के द्वारा रिसीव नहीं करने के आदेश कारण मेडिसिन वापस कर दिया, अभी किसी प्रकार इस फर्म मेडिसन नहीं है। पहले जरूर दवा की सप्लाई हुई थी।

उतई - रीएजेंट से लेकर डेवलपर तक भेजे गए थे 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतई में रीएजेंट के अलावा एक्सरे में उपयोग आने वाले डेवलपर, पाउडर से लेकर अन्य दवाएं बिना डिमांड की भेजी गई थीं। यहां तक शुगर जांच में इस समय एनलाइजर ट्रिक का उपयोग होता है, लेकिन पुरानी पद्धति के केरीलीमीटर की सप्लाई कर दी गई थी। उस समय आपत्ति भी की गई, लेकिन सामान नहीं ले जाया गया। इतना ही नहीं कई दवाएं ऐसी थीं, जिसकी एक्सपाइरी महज दो महीने बाद की थी। स्टोर कीपर सत्यप्रकाश कोसले ने बताया कि उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन सामान डिमांड के अनुरूप ही मंगाए जा रहे हैं।

स्टोर कीपरों की आपत्ति दरकिनार

हरिभूमि की टीम ने सोमवार को सीजीएमसी के जुनवानी स्थित वेयर हाउस, जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक हेल्थ सेंटरों से जानकारी ली। इस दौरान करोड़ों रुपए की दवाओं को बिना ऑर्डर के सप्लाई किया गया। इनमें कई दवाएं ऐसी हैं, जो महीने-दो महीने में एक्सपाइरी हो रही थीं। स्थानीय स्टोर कीपरों ने आपत्ति भी दर्ज कराई, इसके बाद भी सप्लाई कर दी गई।

सीजीएमएससी से डायरेक्ट भेजा, हम क्या करें

दुर्ग के सीएमएचओ डॉ. जेपी मेश्राम ने बताया कि, सीजीएमएससी से डायरेक्ट भेजा गया, हमें तक जानकारी नहीं दी गई। हम क्या करें। हमने हेल्थ सेंटरों को निर्देशित किया है कि यदि डायरेक्ट सप्लाई होती है, तो तुरंत लौटा दें। उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई है।
 

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