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बीजापुर में प्राथमिक शाला के बच्चे मिड डे मील की बिना दाल सब्जी के सादा चावल परोसा जा रहा है। स्कूल में माध्यह्न भोजन संचालित करने वाले समूह को सालभर के राशन की राशि नहीं दिया गया है। 

गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में  शिक्षा विभाग की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। जिले में कहीं जर्जर भवनों में बच्चे शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। तो कहीं जिम्मेदार लोग बच्चों का निवाला छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह मामला प्राथमिक शाला चिन्नाजोजेर का है। जहां पर बच्चे मिड डे मील में मिलने वाले पोषक आहार की जगह बच्चे बिना दाल सब्जी के चांवल खाने को मजबूर हैं। साल भर के राशन की राशि माध्यह्न भोजन संचालित करने वाले समूह को नहीं दिया गया है। जिसके कारण रोजाना बच्चों को बिना दाल सब्जी के सादा चावल परोसा जा रहा है। 

राशन की राशि नहीं मिली 

दरअसल यह मामला चिन्नाजोजेर स्थित प्राथमिक शाला की है। यहां पर पिछले डेढ़ सालों से बच्चों के पोष्टिक आहार पर डाका डाला जा रहा है। जिसके कारण बच्चों को बिना दाल सब्जी के मध्यान भोजन खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया की पिछले साल भी इसी तरह साल भर के राशन की राशि माध्यह्न भोजन संचालित करने वाले समूह को नहीं दिया गया। इस साल भी नए सत्र से लेकर अब तक किसी भी प्रकार की राशि मध्यान भोजन समूह को प्रदान नहीं किया गया है। 

बच्चे घर से सब्जी लाकर खाने को विवश 

स्कूल के अधिकांश बच्चे या तो घर से सब्जी लाकर स्कूल में मध्यान भोजन खाने को विवश है या फिर बिना सब्जी के ही मध्यान भोजन खाकर पेट भर रहे है। अब ऐसे में राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूल जतन योजना के सपने कैसे साकार हो पाएंगे। जब नवनिहाल बच्चे बिना दाल चांवल के माध्यह्न भोजन खाने को विवश हैं। यह तो मात्र एक उदाहरण है, ऐसे दर्जनों स्कूल जिले में मौजूद है जिनकी हालत इससे भी बद्दतर हैं। अब सरकार को तय करने की जरूरत है कि यह नाकामी सरकार की है या जिला प्रसासन की।
 

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