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छत्तीसगढ़ में 'रेत से तेल' निकालने का खेल बारहमासी हो चला है। इस खेल में बदलता है तो बस संरक्षकों के 'दुपट्टे' का रंग। विभाग वालों के हाथ कितने बंधे हैं, उनके बौखलाहट भरे जवाब बयां कर रहे हैं।

तुलसीराम जायसवाल- भाटापारा। मैं दिन भर फील्ड में नहीं रह सकता और ना ही 24 घंटे अवैध रेत ढुलाई को देख सकता हूं। ऑफिस में और भी काम रहता है, बिना रॉयल्टी पर्ची के अवैध रेत परिवहन पर पुलिस, तहसीलदार और आरटीओ ओवरलोड पर कार्यवाही कर सकते हैं। ये कथन हैं स्थानीय खनिज निरीक्षक भूपेंद्र भक्त के। 

अंचल में बड़े पैमान पर चल रहे अवैध रेत परिवहन  को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने लगभग भड़कते हुए कुछ इसी तरह से जवाब दिया। आपको बता दें कि, रेत का खेल भाटापारा क्षेत्र में इन दिनों जोरों से चल रहा है। जब इस संबंध में खनिज निरीक्षक भूपेंद्र भक्त से बात की गई तो वे कहते हैं कि, बिना रॉयल्टी पर्ची, बिना दस्तावेज वाली गाड़ियों पर पुलिस कार्यवाही कर सकती है। तहसीलदार भी कार्यवाही कर सकता है। आरटीओ ओवरलोड वाले वाहनों पर कार्यवाही कर सकते हैं। 

पुलिस वाले छोड़ रहे हैं.. तो मैं क्या करूं

अब अगर पुलिस वाले ऐसे वाहनों को छोड़ रहे हैं तो मैं क्या कर सकता हूं। जब श्री भक्त से पूछा गया, रेत घाट से बिना रायल्टी पर्ची के गाड़ी बाहर कैसे निकल जाती है? तो उन्होंने कहा- यह तो ट्रांसपोर्टर की वजह से हो सकता है। ट्रांसपोर्टर की गलती है, अगर रायल्टी नहीं ले रहा है या रायल्टी पर्ची नहीं दे रहा है।

ऑफिस में और भी काम रहता है

जब खनिज निरीक्षक भूपेंद्र भक्त से पूछा गया कि, इस तरह तो सरकारी कोष को क्षति हो रही है? उस पर कार्यवाही करना क्या उचित नहीं है? तो श्री भक्त ने कहा- कार्यवाही तो होनी चाहिए, अगर बिना रॉयल्टी के रेत गाड़ी मिलती है तो, पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिए, तहसीलदार भी कार्यवाही कर सकता है, हमारे द्वारा भी बिना पर्ची की गाड़ी को पकड़कर कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब मैं दिन भर फील्ड में नहीं रह सकता। ना ही 24 घंटे अवैध रेत ट्रांसपोर्ट को देख सकता हूं। ऑफिस में और भी काम रहता है। 

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सबकी मिलीभगत से ऐसे चल रहा रेत का खेल

अवैध रेत परिवहन के खिलाफ खनिज विभाग के ऐसे ही सुस्त रवैये के चलते बिना रायल्टी पर्ची के सैकड़ों हाईवा रेत परिवहन रोज हो रहा है। बलौदाबाजार- भाटापारा एक ऐसा जिला है जहां रेत माफिया को खुली छूट मिली हुई है। लेकिन ऐसी छूट केवल उन्हीं के लिए है, जिनकी पहचान सफेद कुर्ता-पाजामा धारियों तक है। भाटापारा से जब रेत भरी गाड़ियां निकलती हैं तो खनिज विभाग कार्यवाही करता तो कहीं नजर नहीं आता है, लेकिन धोखे से किसी पुलिस वाले की नजर पड़ जाती है, या वह जांच के लिए रोक कर कागज-पत्र मांग लेता है तो कुछ हाइवा चालक तो दिखा देते हैं, लेकिन कुछ वाहन चालक सीधे फोन लगाकर सफेद कुर्ता-पाजामा धारियों से बात करा देते हैं। फोन पर ही सबकुछ ओके-ओके हो जाता है। 

तुरंत आ गया साहब का फोन 

माइनिंग वालों का नेटवर्क कितना तगड़ा है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि, संवाददाता की बात हुई खनिज निरीक्षक से और बात पहुंच गई माइनिंग आफिसर तक। उप संचालक माइनिंग कुंदन बंजारे ने महज खनिज निरीक्षक को माइनिंग आफिसर लिख दिए जाने पर ही भड़कते हुए खबर सुधारने तक की चेतावनी दे डाली। इस विभाग को लेकर कोई भी खबर कितनी तेजी से ऊपर तक पहुंच जाती है, इसी बात से आप रेत से तेल निकालने के इस खेल के पीछे चल रहे नेटवर्क का अंदाजा लगा सकते हैं।

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