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एक भवन में संचालित होने वाले सभी स्कूलों की गिनती एक ही विद्यालय के रूप में होगी। इन स्कूलों के शिक्षक भी मर्ज होंगे।

रायपुर। प्रदेश में 4 हजार 77 स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है। ये ऐसे स्कूल हैं, जो एक ही भवन में स्थित हैं, लेकिन इनकी गिनती भिन्न- भिन्न स्कूलों के रूप में होती रही है। अब इसमें बदलाव किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गई रूपरेखा के मुताबिक, एक भवन में संचालित होने वाले सभी स्कूलों की गिनती एक ही विद्यालय के रूप में होगी। इन स्कूलों के शिक्षक भी मर्ज होंगे। 

जिन स्कूलों को आपस में मर्ज किया जा रहा है, उनमें से 99 स्कूल ऐसे हैं जो एक परिसर में ना होकर आस-पास स्थित हैं। इन स्कूलों में मात्र 4-5 बच्चे ही हैं। छात्रों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने इन्हें आपस में मर्ज किया जा रहा है। शासन द्वारा आदेश प्राप्त होने के बाद युक्तियुक्तकरण संबंधित कार्य तेज कर दिए गए हैं। सत्र के प्रारंभ से ही इनकी सूची बनाई जानी प्रारंभ कर दी गई थी। मौजूदा सत्र में ही इनके आपस में मर्ज हो जाने की संभावना है।

इस तरह दूर होगी शिक्षकों की कमी

प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल अथवा हायरसेकंडरी को मर्ज किए जाने पर शिक्षक भी आपस में मर्ज हो जाएंगे। इस तरह से 4 हजार 77 स्कूलों के शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण हो जाएगा। इससे शिक्षकों की कमी भी दूर हो जाएगी। वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक, 7 हजार 303 शिक्षक ऐसे हैं, जो अतिरिक्त हैं। अर्थात ये जहां पदस्थ हैं वहां पहले से ही पर्याप्त शिक्षक हैं। इन 7,303 शिक्षकों को उनकी वर्तमान पदस्थापना से हटाए जाने के बाद भी विद्यालयीन कार्य पर विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। इनके अलावा 4 हजार 77 स्कूलों को मर्ज करने के बाद 6 हजार शिक्षक और अतिशेष हो जाएंगे। अर्थात शासन के पास 7 हजार से अधिक ऐसे शिक्षक हो जाएंगे, जो अतिरिक्त रहेंगे। इन्हें एकल शिक्षक स्कूल अथवा शिक्षक विहीन स्कूलों में भेजा जा सकेगा।

इसे ऐसे समझें

मान लीजिए किसी गांव या शहर में एक भवन है। इस भवन में अलग- अलग पालियों में प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल अथवा हायरसेकंडरी की कक्षाएं संचालित होती हैं। प्रथम और द्वितीय पाली में लगने वाली कक्षाओं की गिनती दो स्कूलों के रूप में होती है। इन्हें यू- डाइस कोड भी अलग- अलग दिए गए हैं। अब इन दोनों पालियों के स्कूलों को एक साथ मर्ज कर दिया जाएगा। अर्थात एक भवन में जितनी भी पाली में कक्षाएं संचालित होती हो, उन सबकी गिनती एक ही स्कूल के रूप में होगी। इसके अलावा सबका यू-डाइस कोड भी एक ही होगा। शासन की योजनाएं भी एक ही यू- डाइस कोर्ड के अंतर्गत प्राप्त होगी।

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