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अंबागढ़-चौकी जिले में जैन समाज चौरडीया परिवार की सुश्री शैली बाफना ने पारिवारिक जीवन से संन्यास ले लिया है। अरजुंडा की जैन परिवार की बेटी ने 22 साल की उम्र में सांसारिक सुखों का त्याग कर आज दीक्षा ग्रहण की है। 

दीपेश पंद्रो। अंबागढ़-चौकी। छत्तीसगढ़ के अंबागढ़-चौकी जिले में जैन समाज चौरडीया परिवार की सुश्री शैली बाफना ने पारिवारिक जीवन से संन्यास ले लिया है। अरजुंदा की बेटी ने सांसारिक सुख और परिवार की मोहमाया छोड़ कर दीक्षा ले ली है।

जहां आज के समय मे बच्चे टीवी और मोबाइल जैसी चीजों के आदी हो गए हैं। इस माहौल में कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो आधुनिक दुनिया से दूर और सांसारिक सुखों का त्याग कर दीक्षा ले रहे हैं। अरजुंडा की जैन परिवार की बेटी ने महज 22 साल की उम्र में सांसारिक सुखों का त्याग कर आज दीक्षा ग्रहण की है। जैन साध्वी के रूप में  22 साल की शैली बाफना आज अरजुंड अंबागढ़ चौकी के भूमि में सांसारिक सुख को छोड़ साध्वी के रूप में नजर आ रही है। 

गुरु के साथ 6 महीने बिताने के बाद लिया संन्यास 

शैली ने अपने पिता अमरचंद, माता प्रेमलता और अपनी भाई बहन को छोड़कर सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया है। शैली ने 6 माह अपने गुरु के साथ समय व्यतीत किया। 6 महीने के बाद जब घर लौट कर शैली ने सन्यास लेने का फैसला लिया । जैन समाज द्वारा चौकी में भव्य शोभा यात्रा निकाली थी. जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। जैन भगवंतों के सानिध्य में जैन शासन की ओर शांति की राह पर चल पड़ी है। 

आचार्य रामनाथ महाराज की कथा और प्रवचनों से हुई प्रभावित 

साध्वी शैली ने बताया कि, जहां भगवान हैं वही मोक्ष हैं। बचपन में भगवान की आराध्य थी लेकिन इन ढाई सालों में मैं वैराग्य की ओर ज्यादा आकर्षित हुई। आचार्य श्री रामनाथ जी महाराज की कथा और प्रवचन से प्रभावित होकर और परिवार के सहयोग से सुश्री शैली आज साध्वी शैली के रूप में सांसारिक सुख त्याग कर संन्यास ले लिया है।  

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