रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्काई वाक का काम सबसे धीरे चल रहा है। शहर में भीमराव अंबेडकर चौक से शास्त्री चौक होते हुए जयस्तंभ चौक के पहले (पुराना बस स्टैंड) तक सड़क के बीच में 5 साल पहले पिलर खड़े किए गए थे। काम तेजी से चल ही रहा था कि, 2018 में राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद राज्य में सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार आई और स्काई वाक का काम रुकवा दिया। तब से लेकर आज तक काम बंद है।
2017 में जब डॉ. रमन सिंह जब प्रदेश के सीएम थे तो उन्होंने स्काई वाक का काम शुरू करवाया था। तब बीजेपी सरकार में राजेश मूणत पीडब्ल्यूडी मंत्री थे, लेकिन मूणत 2018 में चुनाव हार गए थे। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में वे चुनाव जीत गए। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब स्काई वाक को लेकर भी सियासी समीकरण बदलने लगा है। इसका ताजा उदाहरण एसीबी- ईओडब्ल्यू का खात्मा है। दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने स्काई वाक में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसका काम रुकवा दिया था। कांग्रेस सरकार ने स्काई वाक का भविष्य तय करने के लिए दो समिति भी बनाई थी।
जांच में आरोप नहीं हुए साबित
दिसंबर 2022 में कांग्रेस सरकार ने स्काई वाक के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की एसीबी-ईओडब्ल्यू से जांच कराने का फैसला किया था। विधानसभा में आज एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विभागीय मंत्री और राज्य के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि, पीडब्ल्यूडी के अपर सचिव ने 3 जनवरी 2023 को दस्तावेजों के साथ एक पत्र एसीबी-ईओडब्ल्यू को भेजा था। इसमें स्काई वाक में भ्रष्टाचार और अनियमितता की जांच करने का आग्रह किया गया था। इसके आधार पर ईओडब्ल्यू ने अपराध पंजीबद्ध कर उसकी जांच शुरू कर दी गई थी। लेकिन ईओडब्ल्यू के अनुसार जांच में आरोप सही नहीं पाए गए और इसकी वजह से 11 दिसंबर 2023 को मामला पंजीबद्ध कर दिया गया।
बीजेपी सरकार ने खत्म की जांच
आपको बता दें कि, राज्य में 3 दिसंबर को राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा की गई थी। इसमें 54 सीटों पर जीत के साथ भाजपा ने सत्ता में वापसी की है। चुनाव परिणाम जारी होने के सप्ताहभर में ही बीजेपी ने ईओडब्ल्यू द्वारा की रही जांच को खत्म कर दिया।
मूणत ने पूछा था प्रश्न
बीते दिनों सदन में स्काई वाक को लेकर रायपुर पश्चिम सीट से विधायक और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने ही सवाल किया था। इस प्रश्न पर सदन में चर्चा नहीं हुई, लेकिन लिखित जवाब में विभागीय मंत्री साव ने बताया कि, तत्कालीन सरकार ने स्काई वाक को लेकर दो समितियों का गठन किया था। सामान्य सुझाव समिति ने स्काई वाक के निर्माण का सुझाव दिया था।
कांग्रेस ने लगाया था गड़बड़ी का आरोप
तब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने स्काई वाक के निर्माण में नियमों का पालन नहीं करने, भ्रष्टाचार और अनियमितता के आधार पर इसकी ईओडब्ल्यू और एसीबी से जांच कराने का फैसला किया था। तब सरकार की तरफ से बताया गया कि, 77 करोड़ की इस परियोजना का जान बूझकर 2 बार में प्राक्कलन तैयार किया गया ताकि मंजूरी की आवश्यकता ना रहे। विधानसभा चुनाव 2018 की अधिसूचना जारी रहने के दौरान ही लोक निर्माण विभाग द्वारा पुनरीक्षण प्रस्ताव तैयार कर 5 दिसंबर 2018 को वित्त विभाग को भेजा गया, जो आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है। इसे आधार बनाते हुए तत्कालीन सरकार ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू- एसीबी को सौंपी थी।
लोक निर्माण विभाग द्वारा दिया गया 15 दिन का समय
लोक निर्माण विभाग द्वारा स्काई वाक निर्माण की प्रथम निविदा 4 फरवरी 2017 को जारी की गयी तथा निविदा प्रस्तुत करने हेतु मात्र 15 दिनों का समय दिया गया। 4 फरवरी तक प्रकरण में वित्त विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति भी प्राप्त नहीं हुई थी। 15 दिनों मात्र की निविदा के लिए कोई आवश्यकता और औचित्य नहीं दर्शाया गया है, न सक्षम स्वीकृति प्राप्त की गई है।