यशवंत गंजीर- कुरुद। छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्द है। यहां का नरहरा जलप्रपात इन दिनों आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। वहीं इस जगह को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने ले लिए तेजी से काम किया जा रहा है। जिसके प्रबंधन और नियंत्रण का जिम्मा स्थानीय ग्रामीणों को दिया गया है। जिसके तहत यहां पर सर्वसुविधा को ध्यान में रखते हुए निर्माण काम किया गया है। साथ ही सभी चीजों का संचालन ग्रामीण कर रहे हैं।
नगरी विकासखण्ड के ग्राम झूरातराई-कोटरवाही के पास स्थित नरहराधाम जलप्रपात पर्यटन के दृष्टिकोण से उभारा गया है। इसकी खासियत यह है कि, नरहरा धाम को पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित करने के लिए ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है। जिससे उन्हें निश्चित आय और रोजगार मुहैया हो। इस जगह को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए प्रबंधन और नियंत्रण का प्राधिकार स्थानीय ग्रामीणों को दिया गया है। जिसके तहत यहां पहुंचने के लिए पहुंच मार्ग तैयार किया गया है। इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन के तहत सामुदायिक शौचालय का भी निर्माण किया गया है। पर्यटन क्षेत्र में सामुदायिक शौचालय, स्वच्छता, वाहन पार्किंग, टुरिस्ट गाइड आदि का संचालन स्थानीय ग्रामीण कर रहे हैं।
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कहां है नरहरा जलप्रपात
धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर है। इसकी दुरी नरहरा धाम कुकरेल से बिरझुली जाने वाली पक्की सड़क के बाद कोटरवाही से 5 किमी है। यह एक प्राकृतिक झरना है। जो बारिश के दिनों में पानी बढ़ने के कारण नरहरा धाम में जलप्रपात का स्वरूप लेता है। घने जंगल में चट्टानों के बीच से गिरता दुधिया रंग का पानी का नजारा बेहद खूबसूरत दिखता है। इस जलप्रपात का पानी आगे महानदी में जाकर मिलता है।
ऋषि मारकंडे ने किया था तप
नरहरा धाम पर्यटन के दृष्टि से ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ धार्मिक आस्था का केंद्र भी है। यहां कभी ऋषि मारकंडे तप किया करते थे और यह जगह उनका तपस्थली हुआ करता था। इसी जगह पर माता नारेश्वरी देवी का मंदिर भी स्थापित किया गया है। रोजाना यहां सैकड़ों लोग पिकनिक मनाने पहुंचते है।