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नक्सल प्रभावित इलाके ओढ आमामोरा मार्ग में सडक निर्माण के लिए पिछले 15 वर्षों में 24 बार टेंडर निकाला गया,लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार पीछे हटते गए। 

हसन खान - मैनपुर। गरियाबंद जिले के जिस इलाके में एएसपी समेत 11 जवान शहीद हो चुके हैं, वहां अब की निगरानी में दस किमी सड़क का निर्माण हो चुका है। करीब 15 सालों में इस सड़क निर्माण के लिए 24 बार टेंडर निकाला जा चुका था,लेकिन नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से काम करने वाले साहस नहीं दिखा पा रहे थे। 25वे टेंडर के बाद फोर्स की निगरानी में 31 किमी लंबी यह सड़क अब बन रही है। गरियाबंद के दबनई मार्ग से आमामोरा तक सड़क निर्माण कार्य का टेंडर 24 बार निकाला गया, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से कोई भी व्यक्ति इस काम को करने का साहस नहीं जुटा पा रहा था। 

मैनपुर गरियाबंद नेशनल हाईवे 130 सी मुख्य सड़क मैनपुर से 09 किलोमीटर दबनई नाला के पास से आमामोरा पहाड़ी के ऊपर बसे गांव की दूरी 26 किलोमीटर है, लेकिन बेहद ही खराब, पथरीला, पगडंडी रास्ता, नदी नाला होने के कारण यहां पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं था। गरियाबंद जिले के दुर्गम पहाड़ी नक्सल प्रभावित इलाके ओढ आमामोरा मार्ग में सडक निर्माण के लिए पिछले 15 वर्षों में 24 बार टेंडर निकाला गया, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार पीछे हटते गए। अब 25वां टेंडर होने के बाद पुलिस सुरक्षा के बीच सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। 

5 हिस्से में अलग-अलग इस सड़क निर्माण का टेंडर दिया गया 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के एसडीओ कमलेश चन्द्राकर ने बताया कि पिछले 15 वर्षों में ऑढ आमामोरा सड़क के लिए 24 बार टेंडर किया गया, लेकिन निर्माण कार्य करने कोई भी ठेकेदार सामने नहीं आए। 25वी बार 05 हिस्से में अलग-अलग इस सड़क का निर्माण कार्य का टेंडर दिया गया और लगभग 20 करोड़ रुपए की लागत से 31.65 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें 10 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य हो चुका है।

2005 में शुरू हुई थी प्रक्रिया

दबनई मार्ग से आमामोरा तक सड़क निर्माण के लिए डॉ रमन सिंह सरकार के समय 2005 से ही प्रकिया शुरू हुई और सड़क निर्माण के लिए दर्जनों बार टेंडर निकाले गए, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ज्यादातर ठेकेदार यहां निर्माण कार्य करने से पीछे हट जाते थे। यह  सड़क निर्माण बहुत बड़ी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन दो वर्ष पहले इस क्षेत्र के छिन्दौला ओढ में सीआरपीएफ कैम्प की स्थापना के बाद अब इस क्षेत्र में सडक निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। सड़क का पूरा निर्माण कार्य सीआरपीएफ जवानों की सुरक्षा में किया जा रहा है। सीआरपीएफ जवानों की तैनाती में सड़क निर्माण कार्य जारी है। गरियाबंद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले के निर्देशन में डीआरजी, सीआरपीएफ के साथ समन्वय कर ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर इलाके से नक्सलियों को खदेड़ने में सफलता मिली है। जिसके बाद सड़क निर्माण कार्य अब लगभग 10 किलोमीटर से भी ज्यादा बन चुका है।

क्या कहते है गरियाबंद पुलिस अधीक्षक

गरियाबंद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले ने चर्चा में बताया कि ओढ आमामोरा सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है। पुलिस बल सुरक्षा के लिए तैनात है, उन्होंने कहा कि 2018 में नक्सली दो जवान शहीद हुए थे।

सरपंच ने कहा, अब विकास पहुंचेगा गांव तक

ग्राम पंचायत ओढ़ के सरपंच रामसिंह सोरी ने बताया ओढ़ आमामोरा ग्राम तक ना तो विधायक सांसद और बड़े अधिकारी कोई नहीं पहुंचते, अब सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है। सड़क निर्माण हो जाने से निश्चित रूप से गांव में बिजली स्वास्थ्य शिक्षा बुनियादी सुविधा पहुंचेगी।

एडिशन एसपी समेत 11 जवान हो चुके हैं शहीद

गरियाबंद के ओढ़ आमामोरा पहाड़ी ओडिशा सीमा से लगा हुआ है और घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2011-12 में गरियाबंद के तत्कालीन एडिशनल एसपी राजेश पवार सहित 09 जवान इसी इलाके में नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नक्सली घटना थी, इसके बाद से यह क्षेत्र घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के नाम से जाने जाना लगा। वहीं 07 से 08 वर्ष पूर्व इसी इलाके में बम फटने से पुलिस के दो और जवान शहीद हो गए थे। इस क्षेत्र में अब तक 11 जवान शहीद होने की जानकारी बताई जाती है।

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