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जंगल में जनअदालत लगाकर माओवादियों ने एक ग्रामीण की निर्ममता से लोगों के सामने पीट पीटकर हत्या कर दी। 

जगदलपुर। सुकमा के किस्टाराम थाना क्षेत्र स्थित जंगल में जनअदालत लगाकर माओवादियों ने एक ग्रामीण की निर्ममता से लोगों के सामने पीट पीटकर हत्या कर दी। मारे गए 20 साल के युवक माड़वी रामाराव निवासी ग्राम साकलेर पर नक्सलियों ने पुलिस की मुखबिरी करने का आरोप लगाते हुए अगुवा किया था। बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने दो दिन पूर्व तीन ग्रामीणों को साकलेर ग्राम से अगवा किया था।

बुधवार को जनअदालत में इनका फैसला करते हुए नक्सलियों ने युवक के साथ क्रूरता की। युवक की हत्या के बाद नक्सलियों ने शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया है। वहीं मारपीट में घायल दो ग्रामीणों को बुधवार रात रिहा कर दिया है। अगवा तीनों ग्रामीण नक्सल प्रभावित किस्टाराम थाना क्षेत्र के ग्राम साकलेर के निवासी हैं। पुलिस ने युवक की हत्या की पुष्टि करते हुए अज्ञात नक्सलियों के खिलाफ किस्टाराम थाना में मामला दर्ज कर लिया है।

चार साल में दो दर्जन से अधिक की हत्या

जानकारी के मुताबिक नक्सली पिछले चार वर्ष में दो दर्जन से अधिक लोगों की हत्या पुलिस मुखबिरी का आरोपी लगाते हुए कर चुके हैं। इनमें 17 नवंबर 2020 को नक्सलियों ने सुकमा के जंगलों में जनअदालत लगाकर 2 युवकों की हत्या की थी। इसके बाद 21 अक्टूबर 2020 को नक्सलियों ने बीजापुर में एक आरक्षक को अगवा कर जनअदालत लगा उसकी हत्या की थी। इसी वर्ष नारायणपुर के अबूझमाड़ में 2 युवकों पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगा कर गला रेत कर हत्या करने के बाद कांकेर जिले में भी नक्सलियों ने जन अदालत लगा कर एक पूर्व सरपंच की हत्या की थी। चार बरस के आंकड़े बताते हैं कि नक्सलियों ने दो दर्जन से ज्यादा को बेरहमी से जनअदालत में मारा है।

पास्टर, कोटवार व दिव्यांग की भी हत्या

नक्सलियों ने इस साल 17 मार्च को बीजापुर जिले के मद्देड़ थाना क्षेत्र में एक पास्टर की हत्या की थी। उसके एक माह बाद 28 अप्रैल को दंतेवाड़ा के नीलावाया में एक दिव्यांग युवक को मार डाला। 2 मई को दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण इलाके के एक कोटवार को मारा था। ऐसे और कई मामले सामने आ चुके हैं।

नक्सलियों के बुलावे पर नहीं जाते अब ग्रामीण

बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि ,किस्टाराम थाना क्षेत्र में एक ग्रामीण की हत्या की सूचना मिली है, जिसकी थाने में रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। पूर्व की तरह अब नक्सलियों की जनअदालत में ग्रामीण नहीं जाते हैं और न ही उन्हें अपना समर्थन देते हैं। लगातार खुल रहे कैम्पों से नक्सली बौखलाहट में आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।

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