महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने 5 माह में बस्तर संभाग के बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर एवं कांकेर जिले के 3 निजी एवं 13 शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों का निरीक्षण किया। मंडल के निरीक्षण में जैव चिकित्सा अपशिष्ट का निस्तारण नहीं होना पाया गया, जिसके चलते 16 केन्द्रों को जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रभावी क्रियान्वयन नहीं किए जाने कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार, पर्यावरण संरक्षण मंडल की टीम ने माह जून से अक्टूबर में अब तक बस्तर जिले के 13 शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों, नारायणपुर जिले के आशीशी शांति हॉस्पिटल, कांकेर जिले के न्यू लाइफ हॉस्पिटल एवं कोंडागांव जिले के नेताम हॉस्पिटल एण्ड इंफर्टीलिटी सेंटर का निरीक्षण कर कारण बताओ नोटिस भेजा है। निरीक्षण के दौरान स्थल पर जैव चिकित्सा अपशिष्टों को खुले में पाए जाने से स्पष्ट होता है कि, आस- पास के चिकित्सा संस्थानों द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्ट नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्टों से संबंधित प्रकरण में उल्लंघनकारी चिकित्सा संस्थानों के विरूद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
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प्रभावी निष्पादन व्यवस्था अनिवार्य
जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत चिकित्सा संस्थानों से जनित होने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट एवं दूषित जल के उपचार के लिए प्रभावी निष्पादन व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है। चिकित्सा संस्थानों द्वारा समीपस्थ खाली जमीन पर जैव चिकित्सा अपशिष्टों को डम्प किए जाने के संबंध में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं।
पुनरावृत्ति होने पर होगी कार्यवाही
पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी एस पिस्दा ने बताया कि, लैब क्लीनिकों को कारण बताओ नोटिस भेजकर भविष्य में अपशिष्टों का अवैध अपवहन की पुनरावृत्ति न हो। नोटिस का जवाब तय समय में नहीं देने पर कार्रवाई की जाएगी।