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राज्य सरकार ने खनिज विभाग की रिपोर्ट के आधार पर गुरु घासीदास को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किया। इस मामले को लेकर वर्ष 2019 में एक जनहित याचिका दायर की गई है। 

रायपुर। गुरु घासीदास नेशनल पार्क को एनटीसीए ने वर्ष 2014 में टाइगर रिजर्व घोषित करने सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने के बाद वर्ष 2022 में अंतिम स्वीकृति दे दी है। बावजूद इसके तत्कालीन राज्य सरकार ने खनिज विभाग की रिपोर्ट के आधार पर गुरु घासीदास को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किया। इस मामले को लेकर वर्ष 2019 में एक जनहित याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। सूत्रों के मुताबिक,  हाईकोर्ट के जवाब मांगे जाने के बाद वन विभाग तथा शासन स्तर पर गुरु घासीदास को टाइगर रिजर्व बनाने विधि के विशेषज्ञों से राय मशविरा ले रहा है। 29 जुलाई को राष्ट्रीय बाघ दिवस है, इस अवसर पर राज्य सरकार टाइगर रिजर्व को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकती है।

गौरतलब है कि,  पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह की सरकार ने गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने वर्ष 2012 में एक प्रस्ताव तैयार किया। प्रस्ताव बनाने के बाद वर्ष 2014 में प्रस्ताव एनटीसीए के पास भेजा, प्रस्ताव मिलने के तत्काल बाद एनटीसीए ने टाइगर रिजर्व बनाने सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मामला ठंडे बस्ते में जाता देख मध्यप्रदेश, भोपाल निवासी वन्यजीव प्रेमी अजय दुबे ने वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर जनहित याचिका दायर की है।

कोर्ट से तीसरी बार जवाब देने - समय मांगा

गुरु घासादीस को टाइगर रिजर्व घोषित करने हाईकोर्ट मार्च तथा अप्रैल में दो बार शासन से जवाब तलब कर चुकी है। दोनों बार राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से जवाब देने समय की मांग की थी, लेकिन तकनीकी कारणों से सरकार कोर्ट में जवाब पेश नहीं कर पाई। इसके बाद तीसरी दफा हाईकोर्ट ने शासन -से जवाब मांगा है और कोर्ट ने शासन को जवाब देने चार सप्ताह का समय दिया है।

टाइगर का कॉरिडोर है घासीदास नेशनल पार्क 

गौरतलब है कि, राज्य बनने के पूर्व गुरु घासीदास नेशनल पार्क मध्यप्रदेश स्थित संजय दुबारी टाइगर रिजर्व का हिस्सा था। राज्य बनने के बाद 1440 वर्ग किलोमीमटर में फैला गुरु घासीदास नेशनल पार्क संजय दुबारी टाइगर रिजर्व से अलग हुआ है। देश में अंतिम चीता के साथ ही वर्ष 1951 में व्हाइट टाइगर का मूवमेंट भी यहीं देखा गया था।

दो हजार वर्ग किलोमीटर में बनना है टाइगर रिजर्व

गौरतलब है कि, गुरु घासीदास नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 1440 वर्ग किलोमीटर तक फैला है। टाइगर रिजर्व में गुरु घासीदास के साथ तमोर पिंगला का क्षेत्र भी शामिल करना प्रस्तावित है। इस लिहाज से टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 2048 वर्ग किलोमीटर का होगा। जानकारों के मुताबिक गुरु घासीदास के अलग टाइगर रिजर्व बनने के बाद क्षेत्र में हाथी समस्या पर भी अंकुश लगेगा। इसके साथ ही गुरु घासीदास के टाइगर रिजर्व बनने से यह देश का सबसे बड़ा टाइगर कॉरिडोर होगा। गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व से संजय दुबारी के साथ बांधवगढ़ तथा झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व जुड़ा हुआ है।

एक दशक में नौ नए टाइगर रिजर्व

राज्य में वन्यजीवों खासकर बाघ के संरक्षण संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ कितना गंभीर है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 के बाद से देश में नौ नए टाइगर रिजर्व बन चुके हैं, लेकिन गुरु घासीदास को टाइगर रिजर्व बनाने वर्ष 2014 के बाद कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। जो नए 10 टाइगर रिजर्व बने हैं, उसकी सूची इस प्रकार से हैं... 

■ उत्तरप्रदेश, पीलीभीत टाइगर रिजर्व- 2014
■ महाराष्ट्र, बोर टाइगर रिजर्व - 2014
■ उत्तराखंड, राजाजी टाइगर रिजर्व 2015
■ असम, ओरंग टाइगर रिजर्व - 2016
■ अरुणाचल प्रदेश, कामलांग टाइगर रिजर्व - 2017
■ तामिलनाडु, श्रीविल्लीपुथुर मेगामलाई टाइगर रिजर्व - 2021
■ राजस्थान, रामगढ़ टाइगर रिजर्व 2022
■ मध्यप्रदेश, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व - 2023
■ राजस्थान, धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व - 2023

 

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