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छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ केवल अंदरूनी रस्साकसी की वजह से ही चर्चा में रहता है। पेरिस में चल रहे ओलंपिक में छत्तीसगढ़ का कोई खिलाड़ी शामिल नहीं है। 

रायपुर। पेरिस ओलंपिक का देशभर में खुमार छाया हुआ है। दो पदकों के साथ खुशियों की शुरुआत हो चुकी है, पर छत्तीसगढ़ में मामला दूसरा है। यहां खेलों को लेकर कितनी गंभीरता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ केवल अंदरूनी रस्साकसी की वजह से ही चर्चा में रहता है। पेरिस में चल रहे ओलंपिक में छत्तीसगढ़ का कोई खिलाड़ी शामिल नहीं है। राज्य से दो लोग ओलंपिक में शामिल होने गए हैं, लेकिन ये खिलाड़ी नहीं ऑब्र्जवर के रूप में वहां पंहुचे हैं। इससे भी बड़ी बात ये है कि छत्तीसगढ़ से आज तक कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक में नहीं गया है, जो इक्का दुक्का लोगों को यह मौका भी मिला है वे रेलवे या अन्य विभागों के खिलाड़ी के रूप में शामिल हो पाए हैं।

क्यों नहीं बन पाए ओलंपिक के खिलाड़ी

छत्तीसगढ़ के लिए ये एक बड़ा सवाल है कि यहां से ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी अब तक तैयार क्यों नहीं हो पाए। राज्य में खेल विभाग की गतिविधियों के जानकारों की मानें तो राज्य में खिलाड़ियों के लिए ऐसी सुविधाएं ही नहीं हैं कि जिनके दम पर वे राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले के लिए तैयार हो पाए। जो खिलाड़ी सक्षम हैं वे बाहर से प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं, लेकिन आम व सामान्य खिलाड़ियों के लिए यह एक बेहद मुश्किल काम है।

इंफ्रास्ट्रक्टर की कमी -गुरुचरण

छत्तीसगढ़ राज्य ओलंपिक संघ के महासचिव गुरुचरण सिंह होरा का कहना है कि हमारे यहां राज्य में खेलों का इंफ्रास्ट्रक्टर इतना कमजोर है कि यहां से खिलाड़ी तैयार नहीं हो पाते हैं। दूसरी बात ये कि हमारी खेल नीति भी हरियाणा-पंजाब राज्यों जैसी नहीं है। वहां की नीति, प्रशिक्षण के कारण ज्यादा खिलाड़ी निकल पाते हैं। रही बात ओलंपिक में जाने की तो उसमें वही खिलाड़ी जा सकते हैं जो देश के स्तर पर क्वालीफाई करते हैं। जो व्यक्तिगत खेल हैं उसके लिए खिलाड़ी को खुद ही प्रयास करना होता है। बच्चों के साथ उनके पालकों को भी जुटना पड़ता है। हमारे प्रदेश में अभी स्थिति ये है कि हम लोग नेशनल गेम्स भी नहीं करा पा रहे हैं। 

अब खोली जा रही हैं एकेडमी

छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है। इस सिलसिले में अब नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए आरचरी, हॉकी, एथलेटिक्स और बालिका कबड्डी खेल के लिए बिलासपुर के बहतराई में आवासीय एकेडमी बनाई गई है। इसी तरह रायपुर में भी तीरंदाजी के लिए आवासीय एकेडमी बनाई गई है। जानकारों का कहना है कि इन एकेडमियों से भी खिलाड़ी तैयार होने में कम से कम पांच या छह साल लग सकते हैं। रायपुर में भी हॉकी की आवासीय एकेडमी बन रही है।

खेलों के लिए राज्य में कोई गंभीर नहीं है

छत्तीसगढ़ प्रदेश आरचरी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश मुरारका का कहना है कि वास्तविकता ये है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक शासन में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं आया जो खेल गतिविधियों को लेकर गंभीर हो। दूसरी बात ये है कि यहां खेलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षण (कोचिंग) की भारी कमी है। श्री मुरारका ने कहा कि तीरंदाजी के लिए वे पिछले दस साल से ये मांग उठा रहे हैं, पर कई सुनवाई नहीं हुई। हालत ये है कि एनएमएडीसी ने तीरंदाजी के लिए एक करोड़ रुपए दे रखे हैं। लेकिन इस राशि का इस्तेमाल तक नहीं हो पाया। छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी केवल नेशनल स्तर पर ही खेल पा रहे हैं। ओलंपिक में कोई नहीं गया। राज्य सरकार हर साल जो खेल अलंकरण पुरस्कार देती है वह भी नॉन ओलंपिक खेलों के लिए होता है। ऐसे में ओलंपिक के खिलाड़ी कैसे तैयार हो पाएं। हाल ही में रायपुर आए केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि पीपी मॉडल पर खेलों का विकास किया जाए।

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