Logo
धान खरीदी की अंतिम तारीख 31 जनवरी निर्धारित है। इसके लिए टोकन कटवाना पड़ता है। टोकन न कटने की वजह किसानों को कई बार बिना धान बेचे बैरंग होकर लौटना पड़ता है।

रायपुर/दुर्ग/सड़क अतरिया/निकुम/धमतरी/जगदलपुर।  राज्य में अब तक 35 से 30 प्रतिशत किसान अपना धान बेच नहीं पाए हैं। धान खरीदी की अंतिम तारीख 31 जनवरी निर्धारित है। इसे देखते हुए किसानों को अपने धान की चिंता सताने लगी है। सोसाइटियों में किसानों का धान खरीदने के लिए ऑनलाइन प्रणाली से टोकन दिया जा रहा है, लेकिन टोकन की सूची इतनी लंबी है कि कई किसानों का धान बेचने का नंबर आने में ही 15 से 20 दिन लग जा रहा है। वहीं कई किसानों को तो टोकन तक नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण ऐसे किसानों की चिंता और बढ़ी हुई है, जिनका धान घर के खुले आंगन या खेतों में पड़ा हुआ है। यह स्थिति राज्य के कई जिलों में बनी हुई है, जहां किसानों को टोकन कटने के बाद धान बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है।

तीन की जगह अब चार टोकन मिल रहे किसानों को

धान खरीदी को लेकर जारी दिशा-निर्देश के अनुसार सोसाइटियों में अब तक प्रत्येक किसान को अपना पूरा धान बेचने के लिए तीन टोकन लेने पड़ रहे थे, लेकिन मौसम के कारण इस बार धान की कटाई में देर हुई, जिसके कारण नवंबर में बहुत कम धान की खरीदी हो पाई थी। दिसंबर में धान की कटाई होते ही किसानों की सोसाइटियों में भीड़ टूट पड़ी। हालांकि सोसाइटियों में एक दिन में धान खरीदी का रेसो निर्धारित है। इसके कारण टोकन कटाने के बाद भी किसान अपना धान बेच नहीं पा रहे हैं। किसानों की दिक्कत को देखते हुए शासन ने टोकन में वृद्धि भी कर दी है। तीन की जगह किसान अब चार टोकन ले सकते हैं, लेकिन सिर्फ टोकन बढ़ाने से किसानों की चिंता में कमी नहीं आई है। उनकी चिंता का मुख्य कारण खरीदी का निर्धारित समय है, जो बहुत कम बचा है।


ठंड में खलिहान में झोपड़ी बनाकर धान की रखवाली करने मजबूर किसान 

भिलाई क्षेत्र में भी किसानों को अपनी उत्पादित धान को समर्थन मूल्य पर बेचने टोकन कटवाने, भूखे-प्यासे होकर लाइन लगना पड़ता है। किसानों अभी समस्या के दलदल में ही है। कहीं टोकन नहीं मिल रहा है तो कहीं कई दिनों के बाद धान बेचने की तारीख दी जा रही है। इसके कारण किसान ठंड में घर के आंगन एवं खलिहान में अपनी धान की रखवाली करने रतजगा कर रहे हैं।

दुर्ग जिले में भी खुले आसमान के नीचे धान कर रहे रतजगा

दुर्ग जिले में भी टोकन को लेकर धान खरीदी केंद्रों में यही स्थिति बनी हुई है। सोसाइटियों में टोकन कटने के 15 दिन बाद की तारीख धान बेचने किसानों को दी जा रही है। इससे किसानों के सामने संकट आन पड़ा है। जिले में 102 केन्द्रों में धान खरीदी हो रही है। जिले में 38 लाख क्विंटल धान खरीदी की गई है। इसमें मिलर ने सिर्फ 18 लाख क्विंटल का उठाव किया है। ऐसे में जिले के बीस केंद्रों में धान रखने की जगह नहीं है। जाम के कारण सोसाइटी प्रबंधक 15 दिन बाद का टोकन दे रहे हैं। नगपुरा के किसान भिसहा धनकर घर में जगह नहीं  होने की समस्या बता रहे हैं। ऐसे में वे मिंजाई के बाद बिहारा में ही खुले आसमान के नीचे धान रखने मजबूर हैं। यहां वे लगातार रतजगा कर रहे हैं। इसी प्रकार थनौद के किसान चंद्रकांत सिन्हा ने बताया कि मिंजाई के बाद धान रखने की घर में जगह नहीं है, वहीं बारदाना की भी समस्या है। ऐसे में वह घर के एक कमरे में धान को पाला (खुला) कर रखा है, जिससे रोजाना चूहा धान को चट कर रहे हैं। तुल्लुराम सिन्हा और सियाराम निषाद ने बताया कि वे भी अपने आंगन के कोठार में झिल्ली ढककर धान रखे है।

बस्तर जिले में टोकन कटने के बाद बेच नहीं पा रहे धान, करनी पड़ रही पहरेदारी

समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य अंतिम चरण पर चल रहा है। इसके बाद भी बस्तर जिले में अभी 50 फीसदी किसानों ने धान बेचा है। धान खरीदी के लिए 25 दिन रह गए हैं, जिसमें भी शनिवार-रविवार सहित अन्य सरकारी अवकाश पड़ेंगे। ऐसे में 50 फीसदी किसान अपनी उपज बेचने भारी संख्या में उपार्जन केंद्र पहुंच रहे हैं। इसके कारण किसानों को टोकन देकर धान बेचने के लिए निर्धारित समय दिया जा रहा है। खरीदी केंद्रों में एक दिन में एक साथ सैकड़ों टोकन नहीं दिया जा रहा, लेकिन 4 जनवरी की स्थिति में बस्तर जिले के विभिन्न लैम्प्स सोसाइटी में 1455 टोकन काटा गया है। इसमें 842 किसानों ने अपना उपज बेचा है, जबकि अभी भी जिले में 613 किसान टोकन काट कर धान बेचने अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में किसान घर के बाहर आंगन में बने कोठार में रखे धान की दिन-रात पहरेदारी कर रहे हैं। तोकापाल ब्लॉक के ग्राम सोनारपाल के कृषक ठिबु और चोन्दीमेटावाड़ा के कृषक गुड्डू पोयाम अपने  परिवार के साथ दिन-रात धान की रखवाली कर रहे हैं।

राजनांदगांव जिले में टोकन : लेने में लग रहा समय

राजनांदगांव जिले में भी टोकन को लेकर यही स्थिति बनी हुई है। मौजूदा स्थिति में धान उपार्जन केंद्रों में करीब 40-50 फीसदी ही धान खरीदा गया है, वहीं आगामी बचे दिनों में धान खरीदी का टारगेट पूरा करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी। किसानों को भी धान बेचने के लिए लंबा समय दिया जा रहा है। प्रतिदिन लगभग दो हजार क्विंटल की लिमिट तय होने से किसानों को टोकन के लिए एक सप्ताह से लेकर दस दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। एक तरफ मौसम, तो दूसरी तरफ लंबा समय अंतराल का टोकन मिलने से किसान परेशान नजर आ रहे हैं।

टोकन की लंबी वेटिंग से किसान परेशान

धमतरी जिले में दो माह में लगभग 60 प्रतिशत धान की खरीदी हुई है। अब खरीदी समाप्त होने में बहुत कम समय है और इस अवधि में 40 प्रतिशत खरीदी करना समितियों के लिए बड़ी चुनौती है। किसान भी विकट समस्या से जूझ रहे हैं। मिंजाई करने के बाद भी धान नहीं बिकने से वे अपने घरों में धान को स्टोर करके रखने को मजबूर हैं। किसान अब टोकन कटवाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। विडंबना यह है कि टोकन में लंबी वेटिंग हैं। 21 जनवरी तक टोकन कट चुका है। कई किसान अभी भी टोकन कटवाने के लिए पहुंच रहे हैं। खरीदी की लिमिट बढ़ाकर 21 क्विंटल कर दी गई है। इससे धान खरीदी का लक्ष्य और बढ़ गया। विडंबना यह है कि प्रतिदिन धान खरीदी की लिमिट तय है, जबकि खरीदी की रफ्तार कम है। नरेंद्र सिन्हा, गिरधर साहू, रमन साहू सहित अन्य किसान अब खरीदी की तिथि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

5379487