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हाईकोर्ट ने 500 एकड़ जमीन के मामले में किसानों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि एनआरडीए को किसानों से फिर से समझौता करना होगा। 

बिलासपुर। नया रायपुर में 500 एकड़ जमीन के मामले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने किसानों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि एनआरडीए को किसानों से फिर से समझौता करना होगा, क्योंकि नए कानून के तहत 75% किसानों की सहमति आवश्यक है। अब सरकार और एनआरडीए को इस फैसले के बाद अपनी रणनीति बदलनी होगी और किसानों के साथ बातचीत करनी होगी।

हाईकोर्ट के इस फैसले से पुराने भू अर्जन अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रक्रियाओं पर भी नए कानून का प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि धारा 6 का प्रकाशन एक जनवरी 2014 से पहले किया गया था, तो भू अर्जन अवार्ड एक वर्ष के भीतर करना था जो कि नहीं किया गया। समय सीमा के बाद किया गया भू अर्जन अवार्ड शून्य माना जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि एनआरडीए को किसानों से फिर से समझौता करना होगा, क्योंकि नए कानून के तहत 75% किसानों की सहमति आवश्यक है।

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96 अन्य याचिकाएं भी

नया रायपुर में जमीन मसले को लेकर किसानों की थोक में शिकायतें रही हैं। यह मामला रीको गांव का है। इसके अलग नया रायपुर क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन अधिग्रहण से जुड़ी 9% अन्य याचिकाएं भी कोर्ट में लंबित हैं।

यह है पूरा मामला

पूरा मामला भू अर्जन अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं होने को लेकर है। रीको गांव के 127 से अधिक किसानों ने याचिका दायर की थी। दरअसल नया रायपुर के विकास के लिए 21 मार्च 2013 को 128.39 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत रायपुर के आरंग के रिको गांव में रहने वाले कुलदीप, लखेश्वर प्रसाद सहित 127 किसानों की जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस बीच 1 जनवरी 2014 से जमीन अधिग्रहण के लिए भू अर्जन में पारदर्शिता और उचित मुआवजे का अधिकार अधिनियम 2013 लागू हो गया। किसानों ने 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुराने अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक की गई जमीन अधिग्रहण और मुआवजे की पूरी प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नए अधिनियम के तहत 12 माह के भीतर मुआवजे की राशि दी जानी थी। पुराने अधिनियम के तहत भी प्रक्रिया पूरी करने की स्थिति में 3 जनवरी 2015 से पहले मुआवजा दिया जाना चाहिए था लेकिन उनके मामले में ऐसा नहीं किया जा सका। अब हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि भू अधिग्रहण के मामलों में तय प्रावधान का पालन करना अनिवार्य है।

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