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डीओ जारी किए जाने के बाद मिलर्स द्वारा किए जाने वाले अदला- बदली के खेल पर लगाम लगाने राज्य शासन द्वारा इस बार नई पॉलिसी लाई गई है।

दुर्ग। डीओ जारी किए जाने के बाद मिलर्स द्वारा किए जाने वाले अदला- बदली के खेल पर लगाम लगाने राज्य शासन द्वारा इस बार नई पॉलिसी लाई गई है। धान खरीदी नीति और कस्टम मिलिंग के तहत जिस उपार्जन केन्द्र से धान उठाया जाएगा, वहां के केन्द्र का नाम, ट्रक नंबर और अनलोड की जानकारी पहले भारत सरकार के पोर्टल में एंट्री करनी होगी, इसी तरह की प्रक्रिया ट्रक अनलोड होने के बाद होगी। इस पॉलिसी के जरिए भाड़े के नाम पर हर साल लाखों रुपए के घालमेल को रोकने तैयारी शुरू कर दी गई है। 

उल्लेखनीय है कि, हर साल उपार्जन केन्द्रों से कस्टम मिलिंग के लिए धान उठाने डीओ (डिलवरी आर्डर) जारी किए जाने के बाद इसे बेच दिया जाता है। मिलर पास के डीओ को दूर के मिलर को और पास का मिलर अपना डीओ दूर के मिल को बेच देते है। इस अदला-बदली के खेल से राज्य शासन को भाड़े के नाम पर लाखों रुपए का चूना हर साल लगता था। पिछले साल दुर्ग के मिलर्स को जांजगीर चांपा, बिलासपुर, बलौदाबाजार, कोरिया और मोहला-मानपुर तक भेजा गया था। दुर्ग के मिलरों को 41 लाख क्विंटल से अधिक का धान उठाने डीओ जारी किया गया था, जबकि दुर्ग के उपार्जन केन्द्र में भंडारित धान को रायपुर के मिलर्स ने उठाया था। बड़ी बात यह है कि दुर्ग में 151 राइस मिलर है, इसके बाद भी यहां के मिलर अपने जिले का धान नहीं उठाकर दूसरे जिले से धान उठाए थे। इस तरह की मनमानी न सिर्फ दुर्ग, बल्कि अन्य जिलो में भी होती रही है। हरिभूमि द्वारा पिछले साल डीओ बेचने की मनमानी को उजागर कर इसे शासन के ध्यान में लाया था।

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मिल से धान की अफरा-तफरी रुकेगी

राज्य शासन द्वारा इस बार कस्टम मिलिंग के लिए तैयार किए गए पॉलिसी में केन्द्र ने भी अपना मसौदा दिया है। जिसके बाद उपार्जन केन्द्र से लेकर राइस मिल तक नजर रखने कई बिन्दुओं पर कड़ाई की जा रही हैं। देखा गया है कि मिलर उपार्जन केन्द्र से धान उठाने के बाद इसे बाजारों में महंगे दाम पर बेच देते हैं और सरकार को लंबे समय तक चावल जमा नहीं करते हैं। इस पर भी लगाम लगाने मिल में भौतिक सत्यापन करने कहा गया है। जिसके तहत एफसीआई और नान की टीम ऑपरेशन चलाएगी। जिसमें उपलब्ध स्टाक और मिल के क्षमता अनुसार हर माह मिलिंग की जानकारी एंट्री की जाएगी। साथ ही मॉनिटरिंग की वीडियोग्राफी तैयार कर इसे केन्द्र के पोर्टल में सबमिट करना होगा।

जीपीएस सिस्टम से होगी मॉनिटरिंग

खाद्य विभाग के अफसरों ने बताया कि,  इस बार ट्रक में जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। सिर्फ जीपीएस लगाना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि ट्रक के लोड होने और अनलोड होने तक की एंट्री करनी होगी। इसकी एंट्री भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के वाहन पोर्टल में होगी। बताया जा रहा है कि समर्थन। 

पॉलिसी लागू

मार्कफेड प्रबंध संचालक  रमेश शर्मा ने बताया कि, उपार्जन केन्द्र से धान उठाने वाले ट्रक की जानकारी पोर्टल में दर्ज की जाएगी, वहीं अनलोड पर भी नजर रखी जाएगी। यह सही है कि इस बार पॉलिसी में प्रावधान किया गया है।


 

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