रायपुर। किराया चुकाकर बंगलादेशी एयरक्रॉफ्ट की वापसी के लिए कोई संकेत नहीं मिलने पर नीलामी की स्वीकृति के लिए शुरू की गई प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की जा सकी है। साढ़े आठ साल से रायपुर विमानतल पर खड़ा बांग्लादेश एयरलाइंस कंपनी का विमान अब कबाड़ में तब्दील हो चुका है और किराया साढ़े तीन करोड़ रुपए हो गया है। अफसरों का तर्क है कि नीलामी की अनुमति के लिए कानूनी प्रक्रिया मुख्यालय स्तर पर पूरी की जा रही है। मामला दूसरे देश से संबंधित होने की वजह से इसमें काफी विलंब हो रहा है। ढाका से मस्कट की यात्रा के दौरान तकनीकी खराबी के बाद 173 यात्रियों से भरी फ्लाइट 7 अगस्त 2015 को रायपुर एयरपोर्ट पर लैंड हुई थी। उस दौरान माना जा रहा था कि यात्रियों की सही सलामत वापसी के बाद एयरलाइंस कंपनी एयरक्रॉफ्ट वापस ले जाएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ।
टीम भेजने और पत्र व्यवहार की प्रक्रिया काफी समय तक चलती रही, मगर इसका कोई नतीजा नहीं निकला। करीब पांच साल पहले एयरपोर्ट प्रबंधन ने पार्किंग किराए की बड़ी रकम की वसूली के लिए एयरक्रॉफ्ट की नीलामी पर विचार शुरू किया। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर दिल्ली मुख्यालय भेजा गया, वहां कानूनी प्रक्रिया शुरू तो की गई, पर अब तक पूरी नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश का यह बड़ा एयरक्रॉफ्ट पूरी तरह कबाड़ हो चुका है। इसके पुनः उपयोग की गुंजाईश नहीं बची है, इसलिए रकम की वसूली के लिए इसकी नीलामी ही एकमात्र रास्ता है। अधिकारियों का तर्क है कि एयरक्रॉफ्ट दूसरे देश की एयरलाइंस से संबंधित है, इसलिए बिना उनकी अनुमति के इसे बेचा नहीं जा सकता। इस मामले में उन्हें नोटिस भेजा जा रहा है, मगर उनकी ओर से किसी तरह का संतोषजनक जवाब नहीं आ रहा है।
कुछ समय तक मॉकड्रिल
एयरपोर्ट से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विमानतल के एक कोने में खड़े इस एयरक्रॉफ्ट का उपयोग कुछ समय पहले तक सुरक्षा में लगे जवानों की चुस्ती परखने के लिए मॉकड्रिल में किया जाता था, जिसे बंद कर दिया गया है। एयरक्रॉफ्ट की सुरक्षा के लिए करीब डेढ़ साल तक गार्ड की व्यवस्था की गई थी, मगर वापसी के लिए रिस्पांस नहीं मिलने पर उसे भी हटा दिया गया।
तीन निदेशक बदल चुके
जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश की फ्लाइट की रायपुर विमानतल पर इमरजेंसी लैंडिंग से लेकर अब तक वहां तीन निदेशक बदल चुके है, मगर इस पर फैसला नहीं हो सका है। बिगड़े एयरक्रॉफ्ट की वर्ष 2015 में लैंडिंग के दौरान यहां संतोष ढोके निदेशक थे। उनके बाद राकेश सहाय और प्रवीण जैन का कार्यकाल पूरा हुआ, मगर इस मामले में अब तक किसी तरह का निर्णय नहीं हो पाया है।
मुख्यालय स्तर पर होगा फैसला
रायपुर एयरपोर्ट के निदेशक एसडी शर्मा ने कहा कि, इमरजेंसी लैंडिग के बाद एयरपोर्ट पर खड़े एयरक्रॉफ्ट पर फैसला मुख्यालय स्तर पर किया जाना है। इस मामले में कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है, वहा से जिस तरह के निर्देश मिलेगे, उसका पालन किया जाएगा।