रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बीते दिनों 10 मई को पीडिया के जंगलों में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ को लेकर कांग्रेस बीजेपी सरकार पर हमलावर होती आ रही है। इस मुठभेड़ को ग्रामीणों ने भी फर्जी बताते हुए जवानों पर निर्दोष ग्रामीणों को गोली मारने का आरोप लगाया था। शनिवार को पीसीसी चीफ दीपक बैज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस मुठभेड़ पर सवाल उठाये और न्यायिक जांच की मांग की है।
बैज बोले- नक्सली बताकर ग्रामीणों को मारा गया
श्री बैज ने कहा कि, हमारी 8 सदस्य टीम घटनास्थल पर गई थी। जहां हमारी टीम को ग्रामीणों से मिलने पर रोका गया और पूरी कोशिश की गई की सच सामने ना आए। वहां तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों पर जवानों ने अंधाधुन फायरिंग किया है। पूछताछ से साबित होता है कि, सिर्फ दो लोगों को छोड़कर बाकी मृतक सामान्य जीवन यापन करते थे। जिन्हें पुलिस वालों ने नक्सली बताकर मार गिराया। उन्होंने आगे कहा कि, गांव के लगभग 80 आदिवासी तेंदूपत्ता तोड़ने जंगल गए हुए थे। उन्होंने इस पूरे घटना के जांच की मांग करते हुए कहा कि, उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में इस घटना की जांच कराई जाए। किसी भी निर्दोष की हत्या ना हो यह सुनिश्चित की जाए। ताकि निर्दोष आदिवासियों का एनकाउंटर आने वाले समय में ना हो।
पीडिया में मारे गए थे 12 नक्सली
आपको बता दें कि, पीडिया में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 12 नक्सली मारे गए थे। इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों को एक तरफ जहां बीजापुर और सीआरपीएफ पुलिस ने हार्डकोर और इनामी नक्सली बताया था। तो वहीं पीडिया गांव के स्थानीय ग्रामीणों ने इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों पर ग्रामीणों की हत्या का आरोप लगाया था। ग्रामीणों का कहना था कि, मुठभेड़ में मारे गए लोग नक्सली नहीं बल्कि स्थानीय ग्रामीण थे। वो तेंदूपत्ता जमा करने गए हुए थे। लेकिन जवानों ने अपनी गोलियों से इन ग्रामीणों को नक्सली बताकर एनकाउंटर कर दिया।
सर्व आदिवासी समाज का दल भी पहुंचा जांच करने
स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बाद आदिवासी महासभा और सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख भी पीडिया गांव पहुंचे हुए थे। उन्होंने मारे गए कथित नक्सलियों के परिजनों से मुलाकात की थी। इसके बाद अब कांग्रेस का जांच दल भी पीडिया गांव में पहुंचा।