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बलौदाबाजार में एक परिवार झोपड़ी के नीचे रहने के लिए मजबूर है,पीएम आवास के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने के बाद भी स्वीकृति नहीं मिली है।

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में एक परिवार पिछले कई सालों से प्लास्टिक के बने छप्पर के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है। परिवार को सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। बीती रात हुई बारिश में घर के सामने का कच्चा मिट्टी का दीवाल भी गिर गया।

दरअसल पूरा मामला बलौदाबाजार जिले के नगर पंचायत पलारी का है। जहां का एक यादव परिवार पिछले कई सालों से प्लास्टिक के बने छप्पर के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है। सरकार के द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं से परिवार वंचित है। परिवार को सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा। बीती रात हुई बारिश में घर के सामने का कच्चा मिट्टी का दीवाल भी गिर गया।

दफ्तरों का चक्कर लगाकर थक चुका परिवार 

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले ये लोग नगर पंचायत पलारी के दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके है। एक महीने पहले नगर पंचायत क्षेत्र में लगे जन समस्या निवारण शिविर में भी उन्होंने आवास के लिए आवेदन दिया लेकिन अब तक इस बारे में कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां के जिम्मेदार अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि सिर्फ रसूखदार लोगों को ही आवास योजना मकान के लिए स्वीकृति देते है।

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पक्के मकान वालों को मिल रहा आवास 

नगर पंचायत पलारी में कई ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल चुका है। जिनके पहले से ही पक्के मकान है साथ ही कई लोगों को तो प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर दुकान भी बना लिए हैं। उन्हें भी इस योजना में शामिल कर लिया गया है।

झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर है परिवार 

वार्ड 13 के रहने वाले यादव परिवार में कुल 9 सदस्य हैं। जिन्होंने अपने सर को छुपाने के लिए अपने बच्चों के साथ मिलकर एक पन्नी की झोपड़ी तैयार की थी।वह झोपड़ी भी अब रहने के लायक नहीं है। झोपड़ी कभी भी गिर सकती है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। अब देखना यह होगा कि नगर पंचायत के अधिकारी इस गरीब परिवार की क्या मदद करते हैं।

पीएम आवास से वंचित है जरूरतमंद लोग 

सरकार भले ही अपनी योजनाओं को लेकर कितने भी दावे कर ले लेकिन सच्चाई तो यही है की आज भी जरूरतमंद लोगों को शासन की योजना प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला रहा है। ग्रामीण अंचल में कई गरीब परिवारों को आवास की जरूरत है। आज भी कई गरीब परिवार ऐसे है जो उन्हें जर्जर मकानों में जान जोखिम में डालकर रहना पड़ता है। 

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