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पोस्ट मैट्रिक छात्रावास गीदम के छात्र स्कूली यूनिफॉर्म में कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। छात्रों ने छात्रावास अधीक्षक पर आरोप लगाए। 

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के पोस्ट मैट्रिक छात्रावास गीदम के छात्र स्कूली यूनिफॉर्म में कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। छात्रों ने छात्रावास अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरी शिक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया। छात्रों का कहना है कि, आश्रम पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। साथ ही उन्होंने अधीक्षक पर कई गंभीर आरोप लगाए। 

छात्रों ने कहा कि, देर रात में मूसलाधार तेज बारिश की वजह से छत का टुकड़ा सो रहे एक छात्र के ऊपर गिर गया। गनीमत रही कि, मच्छरदानी लगा कर सभी सो रहे थे। इसके बावजूद भी एक छात्र के कंधे पर चोट लग गयी और उसको अंदरूनी चोटें आई हैं। इस समस्या का लेकर हम सभी छात्र आए हैं और कलक्ट्रेट के सामने बैठे है। उन्होंने आगे कहा कि, कलेक्टर से बिना मिले वह वापस नही जाएगें। छात्रावास की इमारत कभी भी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। छात्रों का दर्द इतना ही नहीं है, इसके आलावा भी उनका बड़ा दर्द है। 

हॉस्टल में करता है बच्चों की पिटाई 

छात्रों ने छात्रावास अधीक्षक सत्यभान भास्कर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, अधीक्षक शराब पीता है और बच्चों के साथ रोज गाली- गलौज करता है। आए दिन आधी रात को बच्चों के कमरों में घुस आता है। यहां तक सोए हुए बच्चों को उठा कर डंडे और बेल्ट से पीटता है। सभी बच्चे दहशतजदा है अब अब हम हिम्मत जुटाकर छात्रावास से निकले हैं। इसलिए अब हम कलेक्टर से बिना मिले तो कतई नही जाएगें। यदि अधीक्षक पर कार्रवाई नही हुई तो हॉस्टल में रहना मुश्किल हो जाएगा। 

हॉस्टल में रहते कॉलेज के छात्र 

छात्रों ने कहा कि, हम सभी अधीक्षक की प्रताडऩा से तंग आ चुके हैं। वह अधीक्षक सालों से बेरहम होकर हमें पीट रहा है। हॉस्टल में कहने के लिए तो 100 सीट है। लेकिन अधीक्षक हॉस्टल में कॉलेज के छात्रों को भी रखा हुआ है। इसलिए हॉस्टल में काफी भीड़ हो जाती है और एक बेड पर तीन-तीन बच्चे लेटते है। हॉस्टल पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और छत से पानी टपकता है। छत इतनी खराब हो चुकी है कभी भी गिर सकती है। शिकायत करने पर अधीक्षक ने कहा कि, पड़े रहे हो और ज्यादा मुह मत चलाओ। हॉस्टल में चेकिंग करने कभी कोई अधिकारी नहीं आया और हम मंडल संयोजक को तो जानते तक नहीं है। 

हॉस्टल मेन्यू के मुताबिक नहीं मिलता खाना 

छात्रों ने आगे कहा कि, हमें हॉस्टल मेन्यू के मुताबिक कभी खाना नहीं नहीं है। बल्कि, पीला पानी मिलता है। पीला पानी इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि, हल्दी नमक में पानी और दाल के दो- चार दाने दिखते हैं। सब्जी भी इसी तरह की मिलती है। अंडा तो कभी मिला ही नहीं है। हॉस्टल में चार्ट तो चस्पा है, लेकिन हम छात्र भी सोचते है जब इतना कुछ चार्ट में है तो अधीक्षक उपलब्ध क्यों नहीं करवाता है। 

तीन साल में खर्च हुए 20 लाख रूपये 

जनपद पंचायत और आदिवासी विकास भिाग से यहां पिछले तीन वर्षो में 20 लाख रुपए से अधिक का मरम्मतीकरण कार्य किया गया है। इंजीनियर खान कहा कि, जनपद पंचायत से लगभग12 लाख से टाईल्स, पुट्टी, एल्मुनियम की खिडक़ी लगवाई गई थी। साथ ही कुछ मरम्मतीकरण कार्य हुआ था। इस कार्य को तीन वर्ष हो चुका है। इसके बाद आदिवासी विकास विभाग ने काम करवाया था, लेकिन यह कार्य कितने का हुआ है इसकी जानकारी नहीं है। इधर आदिवासी विकास विभाग के इंजीनियरा नेताम कहते है इस्टीमेट बनाया गया गया था, काम नही हुआ था। यदि वहां काम हुआ है तो मुझे जानकारी नहीं है।

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