Logo
बिजली नियामक आयोग ने बिजली का नया टैरिफ तय करने से पहले दो दिनों की जनसुनवाई रखी है। लोड फैक्टर की रियायत का एक बार फिर से रिटायर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने विरोध किया है। 

रायपुर। स्टील उद्योगों को अब तक जो घरेलू से भी सस्ती बिजली मिल रही है, उस पर इस बार के नए टैरिफ में कम करने की तैयारी है। पॉवर कंपनी ने इसको लेकर अपनी याचिका में बिजली नियामक आयोग को नया प्रस्ताव दिया है, जिसमें लोड फैक्टर के कारण 25 फीसदी सस्ती बिजली को महज पांच फीसदी तक करने की मांग है। ऐसे में रियायत आशंका को देखते हुए थोक में उद्योगपति कम होने की मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे और जहां टैरिफ न बढ़ाने की मांग रखी, वहीं लोड फैक्टर को भी पहले ही तरह जारी रखने की मांग की। 

इधर इसका लगातार विरोध करने वाले रिटायर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने उद्योगों की मांग को गलत करार देते हुए इसको न मानने की मांग आयोग के सामने रखी। इसी के साथ पेंशन फंड में 12 हजार करोड़ रुपए कम होने की बात भी आयोग के सामने रखी गई। बिजली नियामक आयोग ने बिजली का नया टैरिफ तय करने से पहले दो दिनों की जनसुनवाई रखी है। दूसरे दिन मंगलवार को एचटी उद्योग के प्रतिनिधि थोक में पहुंचे। इस उद्योग से जुड़े स्टील उद्योग को लोड फैक्टर के कारण टैरिफ से 25 फीसदी बिजली 75 फीसदी लोड का उपयोग करने पर मिल जाती है। इसको कम करके पॉवर कंपनी ने पांच फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है। इसी के साथ घरेलू को छोड़कर बाकी वर्गों का टैरिफ भी बढ़ाने का प्रस्ताव है।

लोड फैक्टर की रियायत का भारी विरोध

लोड फैक्टर की रियायत का एक बार फिर से रिटायर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने विरोध किया है। एसोसिएशन उपाध्यक्ष और नियामक आयोग के पूर्व सचिव पीएन सिंह, का कहना है. स्टील उद्योग को फायदा पहुंचाने के लिए की जाने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए दस्तावेजों के साथ बिजली नियामक आयोग में हमने पहले भी याचिका लगाई थी, लेकिन हमारी याचिका दरकिनार करके नया लोड फैक्टर तय करके स्टील उद्योग को सस्ती बिजली देने का रास्ता खोल दिया गया। पॉवर कंपनी को करीब तीन हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा हो चुका है। इसकी भरपाई आम उपभोक्ताओं को करनी पड़ रही है। इसलिए स्टील उद्योग की मांग जायज नहीं है। इनकी मांग को नहीं मानना चाहिए। इसका हमने विरोध किया है। श्री सिंह ने कहा, पहले जब सरप्लस बिजली थी को कुछ फीसदी बिजली सस्ती करके उद्योग को दे रहे थे, लेकिन अब तो बिजली की भारी कमी है, ऐसे में सस्ती बिजली देने का मतलब नहीं है।

राहत कायम रखे

एचटी उद्योग के आठ प्रतिनिधियों ने अपनी बात आयोग के सामने रखी। इसमें स्टील उद्योग की तरफ से दूसरे राज्यों में मिल रही सस्ती बिजली का हवाला देते हुए जहां टैरिफ में इजाफा न करने की मांग रखी गई, वहीं लोड फैक्टर में मिल रही 25 फीसदी की रियायत को जारी रखने की बात भी कही। जनसुनवाई में रेलवे, एनएमडीसी के साथ एचटी उद्योग से जुड़े अन्य प्रतिनिधियों ने भी टैरफि में इजाफा न करने की मांग रखी।

पेंशन कोष में 12 हजार करोड़ कम

पेंशनर संघ के अध्यक्ष पीएन सिंह ने पेंशन कोष में 12 हजार करोड़ कम होने का मामला आयोग के सामने रखा। उनका कहना है, 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों और अधिकारियों को पेंशन देने के लिए हर साल करीब 12 सौ करोड़ खर्च होते हैं। इस समय कोष में महज पांच हजार करोड़ के आस-पास है, जबकि इसमें 17 हजार करोड़ होने चाहिए। अगर आगे अंशदान नहीं मिला तो चार साल बाद पेंशन देने के लिए पैसे नहीं रहेंगे।

5379487