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'रीपा' में गड़बड़ी: छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से मदद के उद्देश्य से रूरल इंडस्ट्रियल पार्क यानी रीपा खोले थे।

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ विधानसभा में आज पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान चलाई गई ग्रामीण औद्योगिक पार्क ( रीपा ) योजना को लेकर सवाल पर सवाल दागे गए। प्रश्‍नकाल के दौरान सत्‍तापक्ष के सदस्‍यों की मांग पर मंत्री विजय शर्मा ने रीपा योजना पर हुए खर्च की ऑडिटर जनरल से ऑडिट कराने और मुख्य सचिव की अध्‍यक्षता में भौतिक सत्‍यापन कराने की घोषणा की है। 

कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री उमेश पटेल के एक प्रश्‍न के जवाब में मंत्री शर्मा ने कहा कि, इस योजना में सरकार का पैसा लगा है। इस वजह से इसे बंद करने की कोई योजना नहीं है। इससे पहले भाजपा धरमलाल कौशिक के प्रश्‍न के जवाब में मंत्री शर्मा ने बताया कि, प्रदेश में 300 रीपा केंद्रों की स्‍थापना का लक्ष्‍य रखा गया था और 300 केंद्र स्‍थापित कर लिए गए हैं। उन्‍होंने बताया कि इस योजना के लिए डीएमएफ सहित अन्‍य विभागों से बज लिया गया है।

बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का लगाया आरोप
इसके बाद कौशिक, अजय चंद्राकर, धर्मजीत सिंह और पुन्‍नूलाल मोहले सहित अन्‍य भाजपाई सदस्‍यों ने इस योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्‍टाचार का आरेाप लगाया। विधायकों ने कहा कि, जितना खर्च बताया गया है उतना हुआ नहीं है। सरपंच से जबरन हस्‍ताक्षर करा लिए गए हैं। धर्मजीत सिंह ने कहा कि इसकी वजह से कई सरपंच दबाव में हैं कुछ तो आत्‍महत्‍या करने का मन बना चुके हैं।

जांच और सत्यापन 3 महीने में होगा पूर्ण
मंत्री शर्मा ने कहा कि उन्‍होंने स्‍वयं कई रीपा केंद्रों को जाकर देखा है, जो अपेक्षा थी वैसी स्थिति नहीं है। उन्‍होंने कहा कि एडवोकेट जनरल के माध्‍यम से ऑडिट किया जाना चाहिए। सीएस के जरिये भौतिक सत्‍यपान होना चाहिए। यह काम 3 महीने में पूरा कर लिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि खर्च और नियम प्रक्रिया की जांच जरुरी है।

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