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कोयला खदान के लिए अधिग्रहित जमीनों के ज्यादा मुआवजे के लिए खेत खलिहानों में रातों-रात निर्माण हो रहे हैं।

रायगढ़। कोयला खदान के लिए अधिग्रहित जमीनों के ज्यादा मुआवजे के लिए खेत खलिहानों में रातों-रात निर्माण हो रहे हैं। जिस गांव में चलने के लिए सड़क नहीं है, वहां आलीशान बहुमंजिला इमारतें, शापिंग काम्पलेक्स, दुकानें, टीन शेड, तालाब, ट्यूबवेल एवं मुर्गी फार्म बनाए जा रहे हैं। शिकायत पर प्रशासन ने सर्वे  शुरू किया है। 

कोयला मंत्रालय ने महाराष्ट्र राज्य सरकार की महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों के लिए रायगढ़ जिले में गारे पेल्मा कोल ब्लाक का आवंटन वर्ष 2016 में किया था। लगभग 2500 हेक्टेयर से अधिक की निजी व शासकीय जमीन की माइनिंग लीज के लिए पर्यावरण जन सुनवाई 29 सितंबर 2019 को आयोजित की गई थी। इस क्षेत्र में किए गए सर्वेक्षण के पश्चात 3000 से अधिक परिवारों को मुआवजा और विस्थापन के लिए चिन्हित किया गया था। जिसकी अधिसूचना भी प्रकाशित किया जा चुकी है। इसके बावजूद तमनार ब्लाक के मुड़ागांव, रोडोपाली सारसमाल, ढोलनारा सहित कुछ गांव में ज्यादा मुआवजा की लालच में अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। प्रभावित ग्रामों में किसानों के अलावा बाहर से आए लोगों, भू- माफियाओं, बिल्डर, जमीन कारोबारी छोटे छोटे टुकड़े खरीदकर कर रातों-रात अवैध निर्माण करवा रहे हैं। इतना ही नहीं नियमों को ताक पर रखकर जमीनों का मद परिवर्तन कराकार उसे व्यावसायिक मद का बनाया गया है। जबकि इन मकानों में रहने वाला कोई नहीं है।

मध्यप्रदेश में हो चुका है घोटाला

मध्यप्रदेश के सिंगरोली जिले में इसी तरह के अवैध निर्माण का मामला सामने आया था। जिसमें एक राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए उसके अधिनियम के अनुसार धारा 3 ए के प्रभावी होने के बाद सिर्फ ज्यादा मुआवजे की लालच में रसूखदारों ने दो हजार घर सिर्फ चार फुट ऊंची ईट की दीवारों और टीन के शेड रखकर बना डाले थे। प्रशासन ने इसकी खरीद फरोख्त और नामांतरण पर रोक लगा दी। इसके बावजूद कुछ लोग स्टाम्प पेपर पर अनुबंध कर अवैध निर्माण को अंजाम देने में लगे हुए थे। तब मुख्यमंत्री ने ऐसे अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश दिया था। 

ड्रोन सर्वे से खुलासा बाद में हो रहे हैं निर्माण 

दर असल 2019 में हुई जनसुनवाई के बाद 3 हजार लोगों को ही गारे पलमा 2 खदान में जमीन अधिवाहण के एवज में मुआवजे के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसके बाद ड्रोन सर्वे में खदान क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भी साफ हो जाती है कि कहां पर खेत है और कहां पर आवासीय इलाका। लेकिन कुछ जमीन कारोबारी ने किसानों से डील कर ली है। इस डील में वह चार गुना मुआवजा बनाएंगे। यहां सिंचित भूमि का बाजार मूल्य लगभग 12 लाख रुपए प्रति एकड़ है। इसका चार गुना तक मुआवजा मिलता है। इसी तरह असिंचित भूमि का बाजार मूल्य लगभग 8 लाख रुपए प्रति एकड़ है। इसी तरह आवासीय एवं व्यावसायिक भूमि की दर न्यूनतम 500 रुपए एवं अधिकतम 1500 रुपए वर्ग फीट है। इसके अलावा फलदार पेड़ एवं इमारती श्रेणी के पेड़ों का 15 से 40 हजार रुपए प्रति वृक्ष मुआवजा मिलता है।

बिजली कंपनी की शिकायत पर सर्वेक्षण हो रहा

अरसी मोर घरघोड़ा के एसडीएम ने बताया कि,  महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के की ओर से अनुविभागीय अधिकारी घरघोड़ा एवं तहसीलदार तमनार में शिकायत भी की गई है। तमनार के गारे पेलमा माइस क्षेत्र में मुआवजे के लिए आवासीय और व्यावसायिक निर्माण तेज होने की जानकारी का सज्ञान लेकर प्रभावित गावो का सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसका सरकारी रिकार्ड से मिलान करेंगे। 

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