सुरेन्द्र शुक्ला- रायपुर। छत्तीसगढ़ में गर्मी की शुरुआत के साथ ही जल संकट के बादल गहराने लगे हैं। इसका सीधा असर प्रदेश के बड़े और मध्यम स्तर के बांधों पर भी पड़ रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार बांधों में 20 से 30 फीसदी जलभराव कम है। छोटे बांधों की स्थिति और भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। छोटे स्तर के अधिकतर बांध सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। इससे आने वाले दिनों में निस्तारी और पेयजल को लेकर संकट खड़ा हो सकता है। अधिकतर बड़े जलाशयों में बारिश में पर्याप्त जलभराव सिकासार, मनियारी, खरखरा से पानी छोडा जा रहा है। ताकि गर्मी के पूर्व तालाबों को भरकर वाटर रीचार्जिंग को बनाए रखा जा सके।
जलाशयों से तालाबों को भरने पानी
बिलासपुर के खूंटाघाट बांध से पानी छोड़कर नहर किनारे के 211 तालाब भरे गए हैं, इस पानी का इस्तेमाल सिर्फ निस्तारी के लिए किया जाएगा। वहीं अन्य बांधों से भी पानी छोडने के निर्देश जारी किए गए हैं। बांगों, गंगरेल सिकासार, मनियारी, खरखरा से पानी छोडा जा रहा है। ताकि गर्मी के पूर्व तालाबों को भरकर वाटर रीचार्जिंग को बनाए रखा जा सके।
बांधों में 45.69 फीसदी जल भराव
प्रदेश में 12 बड़े और 34 मध्यम स्तर के बांध है। इन बांधों में 45.69 फीसदी जल भराव की स्थिति है। वर्तमान में गंगरेल में 56.09 प्रतिशत ही जलभराव है, जबकि 2024 में यह 74.79 फीसदी था। यानी इस बार 18.70 फीसदी जलभराव कम है। यही स्थिति मिनी माता बांगो की भी दिखाई दे रही है। यहां पिछले साल की तुलना में 17.53 फीसदी जलभराव कम है। मुरुमसिल्ली में पिछले बार की तुलना में इस बार करीब 38 फीसदी जलभराव कम हुआ है। हालांकि वर्ष 2023 की तुलना में इस बार इसकी स्थिति बहुत बेहतर है। वर्ष 2023 में यहां केवल 10.30 फीसदी ही जलभराव था।
राजनांदगांव के तीन ब्लॉक में भूजल स्तर तेजी से गिरा
भूजल का नीचे गिरना बड़ी चुनौती है। यदि समय रहते हुए जल दोहन को रोकने का काम नहीं किया गया, तो परेशानी और भी भयानक हो सकती है। राजनांदगांव का बुरा हाल है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर टीम के सर्वे में तीन ब्लाक सेमी क्रिटिकल जोन में रखा गया है। चौथा ब्लॉक भी अगर इसी तरीके से दोहन हुआ तो वह भी सेमी क्रिटिकल जोन में आ जाएगा। साथ ही लगभग 200 हैंड पंप सूखने की कगार पर हैं। 350 फीट नीचे लगभग भूजल स्तर गिरने ये यहां पेयजल संकट भी गहरा गया।