रायपुर। नवा रायपुर के तूता धरनास्थल में 12 अप्रैल शनिवार की रात धरनारत महिला शिक्षिका को बिच्छू ने डंक मार दिया। शिक्षिका को तत्काल अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और फिर अंबेडकर अस्पताल में ले जाया गया। जहां महिला की हालत स्थिर बनी हुई है।
नवा रायपुर के तूता धरनास्थल में बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक पिछले चार महीने से धरना दे रहे हैं। इन्हीं में से एक महिला शिक्षिका प्रिया मंडावी को रात करीब डेढ़ बजे बैस भवन में सोते समय विषैले बिच्छू ने डंक मार दिया। चीख-पुकार सुनकर बाकी शिक्षकों ने 112 नंबर डॉयल कर एम्बुलेंस बुलाने का प्रयास किया। आधा घंटा बीत जाने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं आया, तो साथी सहायक शिक्षक उन्हें मोटरसाइकिल में बिठाकर अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए। उपचार के बाद भी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। इसके बाद उन्हें अंबेडकर अस्पताल में दाखिल कराया गया है। महिला शिक्षिका की हालत गंभीर बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक को बिच्छू ने डंक मार दिया। जहां शिक्षिका की हालत गंभीर बनी हुई है। pic.twitter.com/8hROg158r6
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) April 13, 2025
बताया गया कि पहले भी धरना स्थल और विश्राम भवन में साँप, बिच्छू निकलते रहा है, जिससे लगातार जान का खतरा बना हुआ है। आंदोलनरत प्रदेश भर से विशेषकर बस्तर और सरगुजा संभाग से आई 150 से ज्यादा शिक्षिका इस भवन के चार कमरों में विपरीत स्थिति में रहने पर मजबूर है।
तूता धरना स्थल में अव्यवस्था
शिक्षकों की शिकायत है कि धरनास्थल पर पेयजल और शौचालय की व्यवस्था अत्यंत खराब है। इसकी शिकायत कई बार प्रशासन से की जा चुकी है, पर अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। इसके बावजूद शिक्षकों का कहना है कि, जब तक सरकार उनका समायोजन नहीं करती, वे हर परिस्थिति का सामना करते हुए धरना स्थल पर डटे रहेंगे।
शिक्षकों का संकल्प
शिक्षकों ने संकल्प लिया है कि, वे भी शिक्षा और अधिकारों के लिए उसी निष्ठा से संघर्ष जारी रखेंगे। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों, विशेषकर बस्तर और सरगुजा संभाग के लगभग 2621 शिक्षक-शिक्षिकाएँ, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 1.5 वर्षों की सेवा उपरांत बर्खास्त कर दिया गया है। अपनी पुनर्बहाली और समायोजन की मांग को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे हैं। शिक्षकों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि राज्य सरकार शीघ्र ही कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तो यह आंदोलन और भी व्यापक व उग्र रूप लेने को विवश होंगे।