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राजधानी रायपुर के मोवा इलाके में रहने वाले भरत साहू नक्सली हमले में शहीद  हो गए हैं। घटना की जानकारी मिलने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। 

रायपुर। नक्सली हमले में शहीद हुए एसटीएफ के जवान मोवा निवासी भरत साहू के परिजनों का घटना की जानकारी मिलने के बाद रो-रोकर बुरा हाल है। भरत की मां तथा पत्नी को उनकी शहादत पर अब भी यकीन नहीं है। घटना की जानकारी मिलने पर क्षेत्र में मातम पसरा है। पड़ोसियों को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, पड़ोस की महिलाएं भरत के घर पहुंचकर शहीद की मां तथा पत्नी को ढांढस बंधाते देखी गईं। पत्नी और मां को रोता देख पड़ोसी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। शहीद जवान के पिता किसी तरह अपने आंसू पर काबू पाते हुए घर आने वाले लोगों से मिलते रहे।

शहीद जवान के बड़े भाई मंशा राम के मुताबिक छह भाई बहनों में भरत चौथे नंबर का भाई है। भरत के तीन बच्चे हैं, जिनमें 11 तथा आठ साल की दो बेटी और एक दो साल का बेटा है। शहीद जवान के बड़े भाई के मुताबिक रात दो बजे के करीब बटालियन तथा पुलिस के माध्यम से उन्हें रात दो बजे के करीब फोन के माध्यम से जानकारी मिली। घटना की जानकारी मिलने पर भरत ने अपने अन्य भाई तथा बहनों को भरत के नक्सली हमले में शहीद होने की जानकारी दी। मंशा के अनुसार उनका संयुक्त परिवार है। दोनों बहनों की शादी हो गई।

दादा ने बच्चों को बहलाकर स्कूल रवाना किया

शहीद जवान की बड़ी बेटी कक्षा पांच में तथा छोटी बेटी तीसरी में पढ़ाई करती है। सुबह आठ बजे रामा ने अपनी दोनों नातिन को समझाकर तथा बहलाकर स्कूल रवाना किया। शहीद जवान के पड़ोसियों के मुताबिक भरत की पत्नी तथा मां के रोने की आवाज सुनकर वे उनके घर गए, तब उन्हें घटना की जानकारी मिली। घटना की जानकारी मिलने पर पड़ोसियों का रामा के घर आने का सिलसिला शुरू हुआ, जो दोपहर तक जारी रहा।

एक पखवाड़ा पूर्व ड्यूटी ज्वाइन किया

भरत के पिता के मुताबिक, भरत जब भी घर आता था, तो 15 से 20 दिन की छुट्टी लेकर आता था। ऐसा बहुत कम समय रहा है, जब वह एक माह के अवकाश पर घर आया हो। शहीद जवान इस बार एक माह की छुट्टी लेकर घर आया था। 18 दिन पूर्व भरत ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए गया। इस बार भरत घर आया था तो उसका 18 जून को बर्थ डे था। भरत ने बर्थ डे अपने परिजनों के बीच मनाया। भरत के बर्थ डे के एक माह बाद ही परिजनों को शहादत की जानकारी मिली। पड़ोसियों ने कहा हमने एक सामाजिक कार्यकर्ता खो दिया शहीद जवान के पड़ोसियों के मुताबिक भरत तथा उसका परिवार सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने वाला है। भरत तथा उसके परिवार का वे जिस मोहल्ले में रहते हैं, उनका आज तक किसी के साथ विवाद नहीं हुआ है। भरत के पड़ोसियों के मुताबिक नवरात्रि में दुर्गा प्रतिमा स्थापना के लिए भरत रायपुर में रहे या न रहे, वह चंदा देता था। रायपुर में रहने की स्थिति में भरत दुर्गा पंडाल की सजावट से लेकर अन्य सामाजिक कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता था।

पिता को सुबह सात बजे घटना की जानकारी

भरत के पिता रामा साहू सेवानिवृत्त रेल कर्मचारी हैं। घटना की जानकारी मिलने पर मंशा ने अपने बुजुर्ग पिता को रात में घटना की जानकारी देना उचित नहीं समझा। मंशा ने अपने पिता को सुबह सात बजे घटना की जानकारी दी। घटना की जानकारी मिलने पर रामा बदहवास हो गए। मंशा तथा उनके अन्य भाइयों ने अपने पिता को किसी तरह संभाला, तब तक घटना की जानकारी मां तथा पत्नी को भी नहीं थी। मंशा के पिता ने दोनों को सुबह नौ बजे के करीब घटना की जानकारी दी।

बच्चों की पढ़ाई को लेकर सजग था

शहीद जवान के पिता तथा बड़े भाई के मुताबिक भरत अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाकर काबिल बनाने की बात कहता था। भरत की अपने पिता तथा भाई से दो दिन पूर्व बात हुई थी, तब भरत ने अपने बच्चों की पढ़ाई के बारे में पूछताछ की थी। साथ ही परिजन में एक विवाह समारोह होना है, उसकी तैयारी को लेकर भरत ने अपने बड़े भाई तथा पिता से बात की थी। अवकाश लेकर भरत जब अपने घर आया था, तो उसने अपने पिता को सब्जी भाजी की खेती करने तथा फार्म हाउस बनाने कृषि भूमि खरीदने की सलाह दी थी।

प्रमोशन के बाद माना में आने की बात कही थी

शहीद जवान के पिता के मुताबिक उनके बेटे ने बीए तथा आईटीआई की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी होने के साथ ही भरत का वर्ष 2006-07 में बटालियन में सेलेक्शन हो गया। इसके बाद भरत एसटीएफ में चला गया। शहीद जवान के पिता के अनुसार भरत की बस्तर के अलावा सीमावर्ती महाराष्ट्र के सरहदी क्षेत्र में पोस्टिंग हुई। इस बार भरत अवकाश लेकर घर आया था, तो उसने अपने पिता से कहा था, जल्द ही उसका हेड कांस्टेबल के रूप में प्रमोशन होने वाला है। प्रमोशन के बाद भरत ने अपने पिता को अपनी पोस्टिंग माना बटालियन में कराने की जानकारी दी थी।


 

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