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राजिम कुंभ कल्प मेले के 9 वें दिवस पर मेले में ऐतिहासिक भीड़ देखने को मिली और चक्काजाम की तक नौबत आ गई और सैकड़ों लोग फंसे रहे। 

श्यामकिशोर शर्मा-राजिम। छत्तीसगढ़ के राजिम कुंभ कल्प मेले के 9 वें दिवस पर मेले में ऐतिहासिक भीड़ देखने को मिली और चक्काजाम की तक नौबत आ गई। इस चक्काजाम में सैकड़ों लोग फंसे रहे। राजिम के चौबेबांधा मोड़, कॉलेज मार्ग, फिंगेश्वर मार्ग मंडी से लेकर, गोवर्धन पारा चौक, शिवाजी चौक और पं सुंदरलाल शर्मा चौक में भारी भीड़ देखने को मिली। 

भीड़ से खचाखच भरे रास्ते
भीड़ से खचाखच भरे रास्ते

मेले में पं सुंदरलाल शर्मा चौक से लेकर रायपुर मार्ग तक पं जवाहर लाल पुल व चंपारण चौक तक जाम की स्थिति बनी रही। यही हाल शनिवार की रात में भी देखने को मिला। जब लोग अपने चारपहिया और दोपहिया वाहन में घंटों फंसे रहे। भीड़ और जाम की स्थिति बनने पर पुलिस असहाय हो गई और चंद जवान  प्रयास जरूर कर रहे थे मगर इसमें उन्हें सफलता नही मिल रही थी। पुल में जब जाम की स्थिति उत्पन्न होती है तो लोग बुरी तरह से हलाकान हो जाते हैं । उन्हें ऐसा महसूस होता है कि, इससे कब उबर पाएंगे। ऐसा पिछले वर्षो में भी मेले के दौरान कई बार हुआ। बावजूद पुलिस इस पे कोई कारगर कदम नही उठा पाई है। जाम का कारण पं श्यामाचरण शुक्ल चौक के सामने सड़क के दूसरी पार अनावश्यक रूप से चारपहिया वाहनों का खड़ा होना है। इसी की वजह से शनिवार को जाम में लोग हलाकान हो गए और पुल में स्टापर लगाकर दो भाग में बांटा गया है। ये ठीक भी है परंतु डिवाईडर के रूप में किए इस भाग में एक साथ दो कार पैरलर चलती है। 

10 किलोमीटर तक लगा रहा गाड़ियों का तांता 

राजिम पहुंचने वाले सभी सड़क मार्गों पर यहां से 10-10 किमी दूर तक मोटर गाड़ियों, बाईक सवारों का तांता लगा हुआ था। मसलन रायपुर मार्ग, गरियाबंद, कुरूद, मगरलोड, आरंग, महासमुंद, छुरा मार्ग से लेकर आसपास के तमाम गांवों को जोड़ने वाली सड़कें हाऊसफुल नजर आई है। राजिम-नवापारा शहर के हर दिशाओं के हर सड़कों पर रेलमपेल मोटर-गाड़ियों के चलते जाम की स्थिति बनती रही। लोग अपने बच्चों के साथ संडे का मजा लेने के लिए राजिम पहुंचे हुए थे। यहां पहुंचने वालों में श्रद्धालुओं की संख्या भी अच्छी थी। राजिम के दोनों सुप्रसिद्ध मंदिर भगवान श्री राजीव लोचन व श्री कुलेश्वनाथ महादेव के दर्शन पूजा के लिए लाईनें लगी हुई थी। मेले की भीड़ को देखकर हजारों ऐसे श्रद्धालु है जो भगवान के बिना दर्शन किए, दूर से ही नारियल अगरबत्ती चढ़ाकर वापस लौट रहे थे। 

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