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राजिम कुंभ का समापन आज है। महाशिवरात्रि के दिन तृतीय और अंतिम शाही स्नान होगा। आज संत समागम भी है।

रुचि वर्मा - रायपुर। राजिम कुंभ का आज अंतिम दिवस है। यहां सर्वाधिक रौनक यदि कहीं है, तो वह नागा साधुओं के अखाड़े में है। यहां विभिन्न अखाड़ों से आए साधु अपनी ही धुन में खोए नजर आए। नागा साधुओं की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। नागा साधु बनने से पहले उनका जीवन सामान्य था। इसके बाद वैराग्य उत्पन्न हुआ और वे इस राह में ऐसे रमे कि पीछे मुड़कर घर- परिवार को भी नहीं देखा। इनमें से किसी ने फौज में लंबे समय तक सेवा दी है, तो कोई दफ्तर में टाइपिस्ट भी रहा। अब इन चीजों से वे हमेशा के लिए दूर हो चुके हैं। जानिए इनकी कहानी...

आज अंतिम शाही स्नान और संत  समागम 

राजिम कुंभ का आज समापन है। महाशिवरात्रि के दिन तृतीय और अंतिम शाही स्नान होगा। आज संत समागम भी है। सभी संत यहां पहुंचेंगे। महाशिवरात्रि के कारण भक्तों की भीड़ भी उमड़ेगी। इसे देखते हुए शासन-प्रशासन द्वारा पूर्ण तैयारी कर ली गई है।

नागा कमांडो करते हैं रक्षा, कहा- सरकार हमें नहीं संभाल सकती

श्री दिगंबर नारायण गिरी नागा स्वामी कमांडो कभी फौज में हुआ करते थे। वे बताते हैं, 15 साल राष्ट्र सेवा की। उसके बाद धर्म सेवा का मार्ग चुन लिया। अखाड़े में कमांडो पद दिया गया था। सरकार हमें संभाल नहीं सकती, इसलिए हमें पद दिए जाते हैं। जो कमांडो होता है, उसका दायित्व होता है बाकियों की रक्षा करना। काबिलियत के आधार पर इस पद पर चयन हुआ। हम भी दाल-रोटी ही खाते हैं। भस्म का वस्त्र धारण करते हैं। महाशिवरात्रि पर पूजन भी इसी तरह करेंगे।

मौनी बाबा : 6 माह केदारनाथ में, 6 माह वृंदावन में

श्री निरंजनी अखाड़े के हरिओम भारती ने पिछले 5 सालों से मौन व्रत रखा हुआ है। दसवीं तक पढ़े हरिओम पूरी बात लिखकर ही करते हैं। उन्होंने बताया, उनके पिता और दादा भी संत थे। जब तक केदारनाथ चाहेंगे, तब तक मौन रहेंगे। उनके पास मोबाइल भी है। उन्होंने बताया, वे मोबाइल में किसी से बात नहीं करते लेकिन  इसमें गाने सुनते हैं। भक्ति गीत और भजन ही वे सुनते हैं। इसे अपनी कमर में बांधकर रखते हैं। वे राजिम में बीते 12 सालों से आ रहे हैं। इसी अखाड़े के एक अन्य साधु अपनी धुन में रमे रहे। बहुत पूछने पर बताया कि वे पहले टाइपिस्ट थे। बाद में गंभीर रोग की चपेट में आए और ईश्वर के ही होकर रह गए।

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