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शिवरीनारायण की पावन भूमि के बारे में अक्सर लोग सुनते हैं और यहां पर दर्शन करने भी पहुंचते हैं। लेकिन क्या किसी को इस धाम की आस्था के पीछे की कहानी के बारे में पता है।

रायपुर- सीएम विष्णुदेव साय पवित्र शिवरीनारायण धाम पहुंचे। जहां उन्होंने श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम वर्चुअली देखा, इस मौके पर भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, गौसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, सांसद गुहाराम अजगले सहित रामभक्त मौजूद रहे। 

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शिवरीनारायण की पावन भूमि के बारे में अक्सर लोग सुनते हैं और यहां पर दर्शन करने भी पहुंचते हैं। लेकिन क्या किसी को इस धाम की आस्था के पीछे की कहानी के बारे में पता है। इस जगह का नाम शिवरीनारायण क्यों रखा गया और श्री राम का इस जगह से क्या नाता है ?

प्रभु राम और शबरी का मिलन...

आपकी जानकारी के लिए बता दें, शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग कहा जाता है। क्योंकि यहां से तीन नदियों का संगम होता है। महानदी, शिवनाथ और जोक नदी बहती हुई जाती है। दरअसल, श्री राम ने 14 साल के वनवास काल में शबरी के झूठे बेर खाए थे। शिवरीनारायण में ही प्रभु राम और शबरी का मिलन हुआ था। उसी वक्त से ये पवित्र स्थान आस्था का केंद्र बन गया और शिवरीनारायण के नाम से जाना जाने लगा। 

भगवान शिवरीनारायण आते हैं...

ऐसा माना जाता है कि, शबरी और राम के अटूट प्रेम को देखकर माघी पूर्णिमा पर पुरी के भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण आते हैं। इस दौरान भगवान के पट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद भगवान नर नारायण के चरण कुंड के जल से उनका अभिषेक किया जाता है। 

श्रीराम की कर्मभूमि...

जानकारी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि है। 14 सालों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही बिताया। श्रीराम को भांचा के रूप में पूजा जाता है। भगवान राम ने शबरी की तपस्या से प्रसन्न होकर न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उनकी भक्ति और भाव को देखकर जूठे बेर भी खाए। आज भी शबरी और राम के मिलन के बारे में आप कई जगाहों पर पढ़ और सुन सकते हैं।

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