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दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला की पहाड़ियों पर दुर्लभ प्रजाति का 'लौडांकिया' सांप पाया गया है। इस दुर्लभ सांप को पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया है।

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में वन्य जीव बहुतायत में पाए जाते हैं और समय-समय पर कई वन्य जीव देखे जाते हैं। इसी कड़ी में दंतेवाड़ा जिले में बैलाडीला की पहाड़ियों पर दुर्लभ प्रजाति का 'लौडांकिया' सांप पाया गया है। सांप को वन्य विभाग द्वारा जंगल में छोड़ दिया गया है। 

This snake was found in the forest
 

इस सांप की गिनती दुर्लभ प्रजातियों में पाए जाने वाले सांपो में होती है। इससे पहले इंडिया में यह असम और ओडिशा में मिला था। छत्तीसगढ़ में यह सांप पहली बार मिला है। वन विभाग और प्राणी संरक्षण कल्याण समिति ने इस सांप को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया है। अब इस सांप को लेकर शोध करने की तैयारी है।वन विभाग और प्राणी संरक्षण कल्याण समिति ने इस सांप को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया है। अब इस सांप को लेकर शोध करने की तैयारी है। इस संबंध में दंतेवाड़ा का ज़िक्र करते यूरोपियन जर्नल में यह प्रकाशित किया गया है। 

Published in European Journal
 यूरोपियन जर्नल में हुई प्रकाशित 

पूरे देश में इसकी महज 7-8 प्रजातियां पाई जाती हैं 

इस पूरे मामले को लेकर प्राणी संरक्षण कल्याण समिति के सदस्य अमित मिश्रा ने हमारे संवाददाता को बताया कि, बैलाडीला की पहाड़ी में NMDC के स्क्रीनिंग प्लांट में यह सांप पाया गया है। इसे वाइन स्नेक प्रजाति का बताया जा रहा है। पूरे भारत में वाइन स्नेक की करीब 7 से 8 प्रजातियां हैं, लेकिन दंतेवाड़ा में मिला यह सांप बहुत दुर्लभ है। जब इसका आकार और रंगरूप दूसरे वाइन स्नेक से मैच नहीं हुआ, तो इसकी जांच के लिए तस्वीरें स्पेशलिस्ट के पास भेजी गईं हैं।

वर्ष 2019 में पहली बार हुई पहचान 

Earlier this snake has been found in Assam and Odisha
इससे पहले असम और ओडिशा में मिल चूका है यह सांप 

जहां से इसकी पहचान लौडांकिया वाइन स्नैक के रूप में हुई। खास बात है कि, वाइन स्नैक की यह बेहद ही नायाब प्रजाति है। पूरे भारत में यह पहली बार साल 2019 में सिर्फ असम और ओडिशा में मिला था। जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ में मिला है।

यह है खासियत

इस सांप की लंबाई करीब चार से साढ़े चार फीट की होती है। रंग हल्का भूरा होता है। इसकी पहचान इसके सिर से होती है, जो थोड़ा नुकीला होता है। अगर साइड एंगल से देखें, तो एक तीर के सामने वाले हिस्से की तरह होता है। इस सांप में जहर कम होता है। यह बेहद खूबसूरत और आकर्षक होता है। ये अमूमन पेड़ों पर पाए जाते हैं। छोटे कीड़े, छिपकली, बर्ड्स एग इनके मुख्य आहार हैं। अगर ये किसी इंसान को काट ले, तो मौत का चांस कम होता है

इससे पहले भी मिल चुके हैं कई सांप

लगभग साल भर पहले बैलाडीला की पहाड़ी पर एक और दुर्लभ प्रजाति का सांप मिला था। इस सांप को ‘एरो हेडेड ट्रिंकेट’ के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में इस प्रजाति का पहला सांप मिला था। इससे पहले यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड समेत गोवा के जंगल में मिले थे। यह भी बेहद ही दुर्लभ प्रजाति का सांप है। इसके दांतों में जहर बिल्कुल भी नहीं होता। यह अपने शिकार को दबोच कर मारता है। यदि यह किसी को काट ले तो कोई नुकसान नहीं होता है।

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